मनुष्य के गुणों में साहस सर्वोत्तम है क्योंकि यह सभी गुणों की जननी है। जीना तो उसी का है जिसने जीवन के सूत्र को समझ लिया और भयंकर विपरीत स्थिति पर विजय प्राप्त करने का एक ही रास्ता है, जो साहस है। अगर अंदर साहस है तो हम आत्मनिर्भर बने रहते हैं, जो हमारी कार्यशैली के लिए महत्वपूर्ण है। हमें अपने अनुभवों को उनके सीखने के रास्ते में नहीं आने देना चाहिए। वे जो भी करना चाहते हैं, हमें उन्हें वह करने के लिए साहसी बनने देना चाहिए। यदि असफल हो जाते हैं, तो वे असफलता से भी सीख लेंगे। और अगर वे सफल हो जाते हैं, तो शायद वे दुनिया को एक बेहतर जगह बना पाएंगे।
हमें अपना कार्य सही करने के लिए जब तक प्रयास करना चाहिए, जब तक वह सही न हो जाए। हमें विपरीत स्थिति में घबराना नहीं चाहिए, साहस और धैर्य से अपने काम को करना चाहिए। साहस ही हमें हमारी मंजिल तक लेकर जा सकता है। सफलता हमें तब तक नहीं मिलेगी जब तक हम साहस और बार-बार प्रयास नहीं करेंगे।
साहस एक ऐसा विचार है, जो मन में आते ही पराजय को पीछे छोड़ते हुए विजय की ओर आगे बढ़ा देता है।
Reena Devi
Principal, Arthur Foot Academy
साहस हमेशा ललकारता नहीं है, कभी-कभी साहस दिन ढलने के बाद एक छोटे से शब्द के माध्यम से प्रकट होता है कि "मैं कल फिर से कोशिश करूंगा"।
जीवन में डर का न होना साहस नहीं, बल्कि किसी भी प्रकार के डर पर विजय पाना साहस है। पाठ "साहस" से यही शिक्षा मिलती है कि अगर हम कोई भी कार्य कर रहे हैं और वह हमें मुश्किल लग रहा है या फिर हमारे सामने बहुत सारी चुनौतियाँ आ रही हैं, तो हमें उस कार्य को बीच में ही नहीं छोड़ना चाहिए। बल्कि हमें अपने अंदर इतना साहस होना चाहिए कि हम उस कार्य को पूर्ण करके ही छोड़ें। क्योंकि अगर हम साहसिक व्यक्ति हैं, तो हम अपने डर पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं। साहस मनुष्य को कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। साहस के कारण हृदय में आत्मविश्वास और धैर्य बसते हैं। पाठ "साहस" का सारांश यह बताता है कि अगर कोई भी व्यक्ति किसी काम में बार-बार असफल हो रहा है, तो हिम्मत और कोशिश करते रहना चाहिए। क्योंकि एक दिन वह भी आएगा जब आप उस कार्य में सफलता प्राप्त कर चुके होंगे।
साक्षी पाल
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