Wednesday, December 18, 2024

विनम्रता - Arthur Foot Academy


पाठ विनम्रता से मुझे यह सीखने को मिला है कि हम जिंदगी में कितने भी महान बन जाए या कितने भी बड़े आदमी बन जाए पर हमें कभी भी बड़े होने का घमंड नहीं होना चाहिए जैसे पाठ विनम्रता में गांधी जी सचिन तेंदुलकर वे महान खिलाड़ी के साथ वह बहुत अच्छे आदमी भी थे और जैसे लेखक के बेटे देवांग का उदाहरण दिया गया है कि वह अपनी इच्छा से शौचालय साफ करते थे और उनका व्यवहार स्कूल के चौकीदार से लेकर छोटे बच्चों तक मिलनसार था इसी तरह भी करना चाहिए मैंने अपनी जिंदगी में महसूस किया है जब मैं कक्षा 6 में पढ़ती थी तो मेरे एक अध्यापक थे जिनका नाम श्री अमित कुमार था उनका व्यवहार बहुत अच्छा था क्योंकि वह किसी भी बच्चे में भेद भाव नही करते थे और बच्चे भी भी उनसे बहुत लगाव करने लगे क्योंकि वह पढ़ाने के साथ साथ वह बच्चों को खिलाया भी करते थे उन्होंने हमे खो खो खेल खिलाया था जिसमे उन्होंने हमे समझाया कि इसे कैसे खेलते हैं और इसमें कितने बच्चे पार्टिसिपेट कर सकते हैं और फिर हमने खो खो खेल खेलना शुरू किया और मुझे खो-खो खेल बहुत पसंद आया

साक्षी खन्ना
अध्यापक
आर्थर फुट अकादमी


विनम्रता एक अति महत्वपूर्ण नैतिक मूल्य है, जो कि प्रत्येक मनुष्य के अन्दर विद्यमान होना चाहिए। विनम्रता हमें हमारी सभ्यता, संस्कृति तथा अच्छे विचारों से जोड़े रखता है और हमें प्रगति के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता है। जब हम अपने विद्यार्थी जीवन में होते हैं, हमारे अध्यापक जब हमें पढ़ाते हैं और जब हमसे विनम्र भाव से पूछते हैं या बात करते हैं, यह उनका एक अच्छा स्वभाव होता है। जब हम उनके प्रश्न का उत्तर दे देते हैं, तब हमारे अन्दर उपस्थित हिचकिचाहट समाप्त हो जाती है। यदि हमें चाहे, प्रत्येक व्यक्ति हमें सम्मान दे, हमसे अच्छे से बात करे, हमारे विचारों को समझे, तो हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हमें भी विनम्र भाव से उनसे बात करनी चाहिए। जब मैं विद्यार्थी जीवन में पढ़ता था, मैं एक शांत स्वभाव का विद्यार्थी था। प्रत्येक अध्यापक का ध्यान मेरी ओर आकर्षित होता था और वे विनम्र भाव से मुझसे बातें करते थे। वे मेरा मनोबल बढ़ाते थे। यह मेरा विनम्र स्वभाव ही था जिससे मैं अपने अध्यापक का ध्यान आकर्षित कर पाता था। यदि कोई व्यक्ति चाहे कि उसे भी अपने अन्दर विनम्रता उत्पन्न करनी है, तो एक छोटी सी कार्यशाला परिवर्तन करके अपने अन्दर मानवता की सोच विद्यमान करने के उपरान्त उसके जीवन में भी विनम्रता का भाव प्रकट किया जा सकता है।

नीरज कुमार
अध्यापक
आर्थर फुट अकादमी

पाठ विनम्रता से मुझे यही सीखने को मिला कि हम चाहे कितने भी महान व्यक्ति बन जाए या जीवन में कितनी भी उन्नति हासिल कर ले, हमको कभी बड़े होने का या सर्वश्रेष्ठ होने का घमंड नहीं होना चाहिए | जैसे पाठ विनम्रता में गांधीजी और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर व महान खिलाड़ी कपिल देव के उदाहरण दिए गए हैं, और जैसे लेखक के बेटे देवांग का उदाहरण दिया गया है, कि वह अपनी इच्छा से शौचालय साफ करता था|  उसका व्यवहार स्कूल के चौकीदार से लेकर छोटे बच्चों तक मिलनसार था| इसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में करना चाहिए|

मैंने भी अपने जीवन में यह महसूस किया हैं| जब मैं कक्षा 6 में पढ़ती थीं| मेरे एक अध्यापक थे जिनका नाम श्री महेंद्र सिंह था, मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा और सिर्फ़ वही एक अकेले अध्यापक ऐसे थे, जो बच्चों को पढ़ाने के साथ - साथ खेलने कूदने के लिए भी उत्साहित करते थे| किसी बच्चे के साथ भेद - भाव नहीं करते थे  | सब बच्चों को उनसे बहुत लगाव था| उन्होंने हमको बताया की कोई भी खेल खेलते हैं तो उसके कुछ नियम होते हैं | उन्होंने बताया की कबड्डी खेल में कितने खिलाड़ी होते हैं| कितनी रेखा बनी होती हैं कौन सी रेखा पर नंबर मिलेगा और किस रेखा से बाहर जाने पर आप आउट हो जाएंगे| सामने वाले को किस तरीके से पकड़ना हैं |

 इसी प्रकार उन्होंने बाकी खेलों के नियम बताए और फिर उन्होंने हमारी प्रतियोगिता दूसरे गांव के स्कूल के बच्चों से कराई, जहां हमने प्रथम स्थान प्राप्त किया इसी प्रकार महेंद्र सिंह सर हमें ब्लॉक स्तर, जिला स्तर, और राज्य स्तर तक हमारी प्रतियोगिता कराई | हमारे लिए और हमारे स्कूल गांव के लिए यही बहुत बड़ी बात थी की पहली बार स्कूल के बच्चे और बंदरजूड  गांव के कुछ बच्चे राज्य स्तर तक खेल कर आए हैं| 

उस स्कूल से कक्षा 8 पास करने के बाद मैंने दूसरे स्कूल में एडमिशन लिया वहां ऐसा कोई अध्यापक नहीं मिला जो खेल कूद के बारे में पूछे | इसलिए महेंद्र सिंह सर आज भी बहुत याद आते हैं अतः मैं यह कहना चाहूंगी कि उनके जैसे अध्यापक जीवन में बहुत कम मिलते हैं | जो बिना स्वार्थ के बच्चों के लिए बहुत कुछ कर देते हैं|

साक्षी पाल
अध्यापक
आर्थर फुट अकादमी


विनम्रता पाठ से मुझे ये सीखने को मिला कि  कि एक विनम्र व्यक्ति की समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि अगर किसी व्यक्ति के व्यवहार में विनम्रता नजर आती है तो समाज के सभी लोग उससे मिलना चाहते हैं और किसी दूसरे स्थान पर जाकर भी उनके व्यवहार की चर्चा करते हैं क्योंकि विनम्रता के जरिए हम किसी का भी दिल जीत सकते हैं जैसे इस पाठ में गांधी ने विनम्रता पर चर्चा की गई है। ऐसे ही मेरे गांव में मेरे चाचा जी थे श्री रमेश चंद जो कि आर्मी के जवान थे। जब वे छुट्टी में घर आते तो गांव के कुछ लड़के उन्हें देखकर ये सोचते कि काश हम भी आर्मी में होते। क्योंकि जब भी चाचा जी घर आते तो सारे लड़के अपने सारे काम छोड़कर चाचा जी के पास आ जाते और उनसे बातें करते और चाचा जी को भी उनसे बातें करना अच्छा लगता था।

 एक दिन कुछ लड़के इनके पास आए और बोले हमें भी आपके जैसे बनना है। चाचा जी ने बिना किसी को पूछे उनकी तैयारी शुरू करा दी थी। वे सभी भी खुश होकर तैयारी शुरू करने लगे। जब उनके माता-पिता को पता चला तो उन्होंने चाचा जी के साथ जाकर लड़ने लगे लेकिन चाचा जी मुस्कुराते रहे और उन्होंने कुछ भी नहीं बोला। जहां पर वे तैयारी करते थे वह किसी और का खेत था। खेत वालों ने वहां पर तैयारी करने से मना कर दिया और फिर वे सब परेशान हो गए लेकिन चाचा जी ने फिर भी हार नहीं मानी। उधर पास में ही एक जंगल था। चाचा जी ने कुछ जगह को साफ किया और वहां पर तैयारी करने लगे और उन लड़कों के माता-पिता ने चाचा जी से बात करना भी कर दिया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और वे सुबह शाम मेहनत करते रहे और फिर कुछ महीनों बाद चाचा जी की मेहनत रंग लाई और 12 में से 7 बच्चे सिलेक्ट हो गए जिससे उनके माता-पिता को बहुत खुशी हुई और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने अपनी गलती की माफी मांगी और उनका धन्यवाद किया। चाचा जी मुस्कुराते हुए बोले कि मैंने तो सिर्फ कोशिश की, मेहनत तो बच्चों ने की है। आज भी उन्हें कोई नहीं भूल पाया। उन्होंने अपनी विनम्रता से पूरे गांव में अपनी एक अलग पहचान बनाई क्योंकि उन्होंने ये सब निस्वार्थ भाव से किया था। ये उनकी विनम्रता थी।
ललिता पाल
अध्यापक
आर्थर फुट अकादमी

विनम्रता हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। प्रत्येक मनुष्य में यह विद्यमान होना चाहिए। जब हम अपने विद्यार्थी जीवन में होते हैं, हमारे अध्यापक जब हमें अच्छी शिक्षा प्रदान करते हैं, यह हमारे अध्यापकों का एक विनम्र भाव होता है जो हम सीख पाते हैं और अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अग्रसर रहते हैं। विनम्रता के एक अच्छे व्यवहार के कारण ही हम सदैव उन्हें याद करते हैं। विनम्रता एकमात्र मनुष्य का अमूल्य रत्न है जो हमें अच्छे संस्कारों, प्रतिष्ठा, और अच्छे आचरण से संजोए रखता है। यदि हमारे अंदर विनम्र भाव की छवि है, तभी हम विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा कर सकते हैं, चाहे हमारा कितना भी बड़ा शत्रु क्यों न हो। यदि हमारे अंदर विनम्रता विद्यमान है, उसे भी हम वश में कर सकते हैं तथा उसे भी हम विनम्रता के गुण से अवगत करा सकते हैं। सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट जगत में 16 साल की उम्र में कदम रखा था। उस समय भी उनके अंदर विनम्रता विद्यमान थी और आज भी उन्होंने उसे विनम्रता को संजोया। उन्हें एक बार एक गलत निर्णय से अंपायरों द्वारा आउट दिया गया, तब भी वे एक विनम्र भाव से मैदान से चले गए। इसी कारण उन्होंने क्रिकेट जगत में सभी को आकर्षित किया। उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई तथा हमारे भारत देश का नाम गर्व से ऊंचा किया। विनम्रता के कारण ही दूसरे देश के खिलाड़ी भी उनसे अत्यधिक प्रभावित होते हैं। सभी मनुष्य के अंदर विनम्रता का अमूल्य गुण विद्यमान होना चाहिए। यदि मनुष्य चाहता है कि मेरे अंदर भी विनम्रता होनी चाहिए, उन्हें एक छोटा सा कार्य करके अपने अंदर विद्यमान अहंकार को त्याग कर विनम्रता का भाव अपनाकर अपने से छोटे-बड़े सभी का सम्मान करके तथा सभी से अच्छे से बात करके और उनकी बातें सुनकर एक अच्छी विचारधारा से जोड़कर हम भी उन्हें विनम्रता के पद पर ले जा सकते हैं। 

जैसे कि विनम्रता पाठ के माध्यम से हमें बताया गया, लेखक का बेटा देवांग और गांधीजी, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, जिनकी कप्तानी में भारत ने प्रथम बार 1983 में विश्व कप जीता, और यह पूरे देश के लिए गौरव की बात थी। ऐसे ही हमारे सर संदीप दत्त हैं। जब मैं पहली बार स्टूडेंट क्लास ली थी और मेरी समझ में इतना कुछ नहीं आया, और जो हमारे आर्थर फुट अकादमी के मालिक हैं, असद खान सर ने मुझसे पूछा क्लास के बारे में जो मेरी समस्या थी, मैंने उनको बताई। फिर सर ने मेरी बात कराई संदीप दत्त सर से। मैं उनसे ही उनकी शिकायत कर रही थी, जो सर हमें पढ़ाते हैं संडे क्लास में। मेरी समझ में इतना कुछ नहीं आता। यह उनकी विनम्रता थी कि मैंने उनकी शिकायत उनसे ही की, क्योंकि मुझे पता ही नहीं था कि यह वही सर हैं जो हमें संडे क्लास में पढ़ाते हैं। 

3 नवंबर 2024 को जब मैं खान सर के फार्म हाउस पर मिली, जो हमारे स्कूल आर्थर फूड अकादमी के लिए उपहार लेकर आए थे, उन्होंने मुझे महसूस भी नहीं होने दिया कि मैं उनकी शिकायत उनसे ही की थी। यह उनकी बहुत बड़ी विनम्रता है। फिर उन्होंने 5-12-2024 को हमारी ऑनलाइन क्लास ली। क्लास में जो मेरी समस्या थी, वह संदीप दत्त सर द्वारा हल हुई। मीनाक्षी मैम और मनीषा मैम हमारे साथ थीं और मुझे बहुत अच्छा लगा जब मैं विनम्रता के बारे में ऑनलाइन पढ़ा। यह मेरी जिंदगी का एक यादगार पल रहा। हमारे जीवन में विनम्रता का होना बहुत महत्वपूर्ण है।
सुश्री रीना
प्रिंसिपल
आर्थर फुट अकादमी

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