हम सब 16.11.2024 को अपने स्कूल और पूरे स्टाफ के साथ द दून स्कूल में गये हमे बहुत ज्यादा अच्छा लगा क्योकि हम पहली बार स्कूल के बच्चो के साथ गये | मुझे वहाँ जाकर एक अच्छे वातावरण का अहसास हुआ। जिस बस में हम गये हम सभी ने खूब मौज मस्ती की और सुमन मैम जो पंजाब से आई मैने उनके साथ अपने विद्यालय के बारे मे बाते की और उन्होने मुझे स्कूल और बच्चों तथा पढाई को लेकर बहुत सारी बाते समझाई और ये सफर कैसे पूरा हो गया पता नहीं चला |
देहरादून का हमारा ये पहला सफर है इसमें हमने बहुत सारी बाते सीखी और दून स्कूल मुझे बहुत अच्छा लगा | वहाँ पर मैंने सुन्दर सुन्दर फूल देखे बहुत बड़े बड़े पेड़ और पौधे भी देखे जो मन को छू गये | फिर हमने वहाँ की प्रयोगशाला देखी, जहाँ पर बच्चों ने लकड़ी और मिटटी के भिन्न भिन्न तरह की वस्तएँ से बच्चों ने बहुत अच्छी मूर्ति बना रखी थी, जिसे देखकर मन खुश हो गया | मिटटी के बर्तन भी बना रखे थे।
पढ़ाई के साथ साथ बच्चों को बहुत कुछ सिखाया जाता है। नाच गाने की कक्षाएँ भी चलती है। दून स्कूल का स्टाफ बहुत अच्छा लगा जिन्होने हमारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया और वहाँ के प्रधानाचार्या भी बहुत अच्छे है वहाँ का मैदान बहुत अच्छा है। वहाँ स्टाफ और प्रधानाचार्या ने हमारा सम्मान किया ओर मैं आभार व्यक्त करती हूँ, असद सर, संदीप दत्त सर, ओर मनीषा मैम का जिनकी वजह से मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ।
रीना देवीआर्थर फुट अकादमी (प्रधानाचार्या)
जब मैं द दून
स्कूल में गई तो
मुझे वहां सबसे अच्छी
मिट्ठी से बनी और
धातु से बनी हुई
वस्तुएं मूर्तियां और खेलने
का मैदान भी बहुत अच्छा लगा |
ललिता पाल
मुझे
द दून स्कूल में
लकड़ी और धातु से
बनी हुई वस्तुएं अच्छी
लगी और सबसे अच्छी
मिट्टी से बनी हुई
मूर्तियां
काफ़ी अच्छी लगी |
साक्षी पाल
स्वाति
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