Sunday, September 25, 2022

विनम्रता और उत्साहवर्धन - ज्योति तडियाल

विनम्रता या विनय, उत्साहवर्धन या उत्साहित करना।

इन शब्दों का अर्थ हम सब जानते हैं, परंतु विद्यार्थियों के बीच इन्हें क्रियात्मक रूप में प्रस्तुत करना एक अलग ही अनुभव दे गया।

मैंने अपनी कक्षा में इन बातों का अभ्यास कार्य कराया कि एक सप्ताह तक विद्यार्थी विनम्रता का व्यवहार करें तथा एक दूसरे का उत्साहवर्धन करेंगे। जिसका प्रारंभ मैंने स्वयं से करने का निश्चय किया। कक्षा में अनेक पल ऐसे आते हैं जब स्वयं पर नियंत्रण कठिन हो जाता है, इस बात को विद्यार्थियों के मध्य साझा किया गया। अंततोगत्वा प्रयास सफल रहा। साथ साथ सभी का उत्साहवर्धन भी किया गया।

हमारे शब्द विद्यार्थियों से बड़े से बड़ा कार्य भी करा लेते हैं। उसी उत्साहवर्धन का परिणाम रहा कि कक्षा के प्रत्येक छात्र के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई। बातों का प्रभाव कितना चमत्कारी होता है यह महाभारत के प्रसंग द्वारा बताया गया।

महाभारत के युद्ध के  समय कौरवों ने चालाकी से नकुल सहदेव के मामा शल्य को अपने साथ मिला लिया। इस बात का पता जब युधिष्ठिर को चला तो उन्होंने शल्य से कहा कि युद्ध के समय आप कर्ण को हतोत्साहित करें। संसार में उस समय केवल दो ही कुशल सारथी थे एक श्री कृष्ण और दूसरे महाराज शल्य। अर्जुन कर्ण युद्ध के समय शल्य कर्ण के सारथी बने और उन्होंने कर्ण को हतोत्साहित कर उसका मनोबल क्षीण किया।

इन दोनों ही अभ्यास कार्यों का विद्यार्थियों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। उन्होंने विनम्रता और शब्दों के प्रभाव को समझा। जिससे कक्षा का वातावरण सकारात्मक हुआ। 

विद्यार्थी जान पाए कि

बोली एक अमोल है, जो कोई बोले जानि।

हिया तराज़ू तोलिक तब मुख बाहर आणि।   (रहीमदास) ज्योति तडियाल दून गर्ल्स स्कूल जे ओ एल कोहोर्ट 2022

No comments:

Post a Comment

Subscribe and get free acess to our Masterclass

Some error occurred

Blog Archive