नारी आज पहले जमाने जैसी नहीं रही काफी बदल गई हैं। आज की नारी घरेलू कार्यों से लेकर उच्चतम पदों पर सेवा कार्य कर रही हैं। आज कई नारियाँ एकदम स्वतंत्र रूप से पुलिस, सेना, उद्योग-धंधे, कई प्रकार के प्रतिष्ठान पूर्ण सफलता के साथ संचालित कर रही हैं। हमारी सामाजिक पंरपराओं से जैसे-जैसे नई सोच उत्पन्न हो रही है वैसे-वैसे जीवन के व्यवहार क्षेत्रों में नारी का महत्व बढ़ता जा रहा हैं। नारी पहले जैसे नहीं रही कि छोटी बात पर हार मान ले या घर की चार दीवारों में बन्द रहे आज वह पुरुषों के बराबर स्वतंत्र और सभी अधिकारों से संयमित हैं।
अब वह
नारी नहीं जो घूँघट में छिपकर रहती थी। आज की नारी बुद्धिमती और निडर है। वह किसी
भी परिस्थितियों से घबराती नहीं है और उसका मुकाबला भी करती है। आज इक्कीसवी शताब्दी
में महिलाएँ किसी भी वर्ग की क्यों न हो, नौकरी कर रही है। महिलाओं की पहचान
सिर्फ उनके पति से नहीं होती है। आज महिलाओं ने अपने आपको सिद्ध किया है कि वह
आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं है।
इन सब के बावजूद भी परिवार में हमेशा यह प्रश्न
उठाया जाता है कि क्या नारी को नौकरी करनी चाहिए? यदि हाँ तो क्यों?
नारियों के लिए नौकरी करने का प्रमुख कारण यह है गरीबी से छुटकारा या अपने परिवार के पालन -पोषण में सहायता करना या कभी कोई परिवार में असहाय हो जाता है तो नारी अपने परिवार का भार अपने कंधे पर उठा सकती हैं। इसके लिए सबसे आवश्यक है नारी शिक्षा यदि नारी शिक्षित होगी तभी अपने परिवार की सहायता कर सकती हैं।
The Fabindia School
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