विचारशीलता और समझदारी
कक्षा में पढ़ाने से पहले हमें यह खुद भी समझ लेना है कि हम जो बच्चों को सिखाने जा रहे हैं वह बच्चों की समझ में आ रहा है या नहीं ।हमें खुद भी बच्चों की समझ के हिसाब से काम देना चाहिए हमें हमें काम बच्चों की समझ के हिसाब से ही कराना चाहिए जिस प्रकार हम कक्षा में पहले दिन केवल परिचय ही से शुरु करते हैं ।जब कोई बच्चा किसी आसान कार्य को कर देता है तो उसका उत्साह बढ़ जाता है और धीरे-धीरे हम बच्चे की क्षमता को देखते हुए अभ्यास कराते हुए आगे बढ़ते हैं ।जब धीरे सीखने वाला बच्चा थोड़ा अच्छा सीखता है तो हमें उसे उत्साहित करना चाहिए इससे बच्चों के अंदर सीखने की इच्छा जागृत हो जाती है ।और उनके अंदर की डर समाप्त हो जाती है ।बच्चा किसी टीचर के सामने अपने मन की बात कहने मे सहज नहीं होता है लेकिन अपने साथी से वह अपनी समस्या को आसानी से कह देता है ।बच्चे आपस में एक दूसरे की समस्या को सुनते हैं और उसका समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैंI
कक्षा में पढ़ाने से पहले हमें यह खुद भी समझ लेना है कि हम जो बच्चों को सिखाने जा रहे हैं वह बच्चों की समझ में आ रहा है या नहीं ।हमें खुद भी बच्चों की समझ के हिसाब से काम देना चाहिए हमें हमें काम बच्चों की समझ के हिसाब से ही कराना चाहिए जिस प्रकार हम कक्षा में पहले दिन केवल परिचय ही से शुरु करते हैं ।जब कोई बच्चा किसी आसान कार्य को कर देता है तो उसका उत्साह बढ़ जाता है और धीरे-धीरे हम बच्चे की क्षमता को देखते हुए अभ्यास कराते हुए आगे बढ़ते हैं ।जब धीरे सीखने वाला बच्चा थोड़ा अच्छा सीखता है तो हमें उसे उत्साहित करना चाहिए इससे बच्चों के अंदर सीखने की इच्छा जागृत हो जाती है ।और उनके अंदर की डर समाप्त हो जाती है ।बच्चा किसी टीचर के सामने अपने मन की बात कहने मे सहज नहीं होता है लेकिन अपने साथी से वह अपनी समस्या को आसानी से कह देता है ।बच्चे आपस में एक दूसरे की समस्या को सुनते हैं और उसका समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैंI
परवाह
अगर कोई बच्चा किसी कारण से रोज स्कूल देर से आता है या ग्रह का है पूरा नहीं करता है तो टीचर को पता करना चाहिए कि बच्चे की क्या समस्या हो सकती है। कभी किसी के घर का माहौल पढ़ाई के अनुकूल नहीं है या घर में कोई सदस्य बीमार है तो भी बच्चे की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है इसके लिए बच्चे के साथ प्यार या दोस्ती का रिश्ता बनाना चाहिए। बच्चे को सहारा देकर कहानी या किसी महापुरुष की जीवन गाथा सुना कर बच्चे को प्रोत्साहित करना चाहिए। जैसे लगातार कोशिश करने पर एक चींटी भी दीवार के ऊपर चढ़ जाती हैं उसी प्रकार धीरे सीखने वाला बच्चा भी अच्छा कर जाता है। बच्चे का विश्वास अपने अभिभावक से ज्यादा टीचर पर होता है वह अपने मन की बात टीचर से बेझिझक करता है और आशा करता है की टीचर उसका सही मार्गदर्शन करेंगे। हम बच्चों को खेल के माध्यम से भी प्रोत्साहित कर सकती हैं। खेल में बच्चों को हार जीत पर ध्यान न देकर अपना बेहतर प्रयास देना चाहिए। कक्षा में भी जो बच्चे होशियार हैं उन्हें दूसरे बच्चों का भी ध्यान रखना चाहिए। इससे बच्चों के मन में दूसरों की परवाह करने की भावना पैदा हो जाती है।। कक्षा में बच्चों को दो टीम में बांट कर अंताक्षरी या कोई खेल खिला कर भी प्रोत्साहित किया जा सकता है हमें समय-समय पर बच्चों को क्लास रूम से बाहर लाकर कोई खेल या कंपटीशन अवश्य कराना चाहिए।इससे बच्चों का रुझान भी पता लग जाता है।। कभी-कभी कोई बच्चा पढ़ाई में ज्यादा अच्छा नहीं होता लेकिन दूसरी एक्टिविटी में वह बेहतर करता है और अपने जीवन में आगे बढ़ जाता है।
अगर कोई बच्चा किसी कारण से रोज स्कूल देर से आता है या ग्रह का है पूरा नहीं करता है तो टीचर को पता करना चाहिए कि बच्चे की क्या समस्या हो सकती है। कभी किसी के घर का माहौल पढ़ाई के अनुकूल नहीं है या घर में कोई सदस्य बीमार है तो भी बच्चे की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है इसके लिए बच्चे के साथ प्यार या दोस्ती का रिश्ता बनाना चाहिए। बच्चे को सहारा देकर कहानी या किसी महापुरुष की जीवन गाथा सुना कर बच्चे को प्रोत्साहित करना चाहिए। जैसे लगातार कोशिश करने पर एक चींटी भी दीवार के ऊपर चढ़ जाती हैं उसी प्रकार धीरे सीखने वाला बच्चा भी अच्छा कर जाता है। बच्चे का विश्वास अपने अभिभावक से ज्यादा टीचर पर होता है वह अपने मन की बात टीचर से बेझिझक करता है और आशा करता है की टीचर उसका सही मार्गदर्शन करेंगे। हम बच्चों को खेल के माध्यम से भी प्रोत्साहित कर सकती हैं। खेल में बच्चों को हार जीत पर ध्यान न देकर अपना बेहतर प्रयास देना चाहिए। कक्षा में भी जो बच्चे होशियार हैं उन्हें दूसरे बच्चों का भी ध्यान रखना चाहिए। इससे बच्चों के मन में दूसरों की परवाह करने की भावना पैदा हो जाती है।। कक्षा में बच्चों को दो टीम में बांट कर अंताक्षरी या कोई खेल खिला कर भी प्रोत्साहित किया जा सकता है हमें समय-समय पर बच्चों को क्लास रूम से बाहर लाकर कोई खेल या कंपटीशन अवश्य कराना चाहिए।इससे बच्चों का रुझान भी पता लग जाता है।। कभी-कभी कोई बच्चा पढ़ाई में ज्यादा अच्छा नहीं होता लेकिन दूसरी एक्टिविटी में वह बेहतर करता है और अपने जीवन में आगे बढ़ जाता है।
- Asha Bhandari@JMMS, John Martyn Memorial School, Salangaon, Dehradun
No comments:
Post a Comment