अविरल बरगद -सा पेड़ है वो
धूप में नित छांव देता है,
चाहे किसी भी आए आँधी ,तूफ़ान
अडिग खड़ा रहता हैं ...
सूरज सा चमकता तेज़ प्रकाश है वो,
परिवार की ऊर्जा का आकाश है वो,
कभी है चाँद सी शीतल छाया ,
समय संग बदलता नित वो अपनी काया,
समंदर सा संयम भी, कभी उठता ज्वार भी,
पृथ्वी सी सहनशक्ति भी,क्षमताएँ अपार भी,
छोटी -छोटी बातों में डाँटने वाले पापा,
बड़ी से बड़ी ग़लती माफ़ कर जाते है।
बेटे के साथ अक्सर होते सख़्त वो,
बेटी की विदाई पर फूट -फूट रो जाते है।
घर की क़श्ती की पतवार है वो,
हम सब के जीवन का आधार है ।
सख़्त हो कितना उनका बिस्तर,
बच्चों को मख़मल का बिछौना लाते है।
क़मीज़ हो उनकी चाहे सालों पुरानी,
हर त्योहार बच्चों को मनचाहे कपड़े दिलाते है।
ज़रूरतें हो या ख़्वाहिशें अपनी भुला के,
बच्चों के सपने सजाने रात दिन जुट जाते है।
हाथ पकड़ के चलना सिखाते है,
कंधे पर बैठा मेला घूमते है,
फिर भी लोग कहते है पापा प्यार नहीं जताते हैं।
मेरे अस्तित्व की पहचान है वो,
हर दम मेरे नाम से जुड़ा उनका नाम है।
अपनी पूरी ज़िंदगी बच्चों पर लुटाते है,
पिता ने कुछ नहीं किया, कैसे बच्चे ये बात कह जाते है।
Pooja Joshi
Educator
Saint Paul's School
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