"A
friend should be one in whose understanding and virtue we can equally confide and whose opinion we can value at once for its justness and its sincerity." Robert Hall
Everyone hopes for friendship. Hope comes with faith that the friend will be loyal, honest and trustworthy.
As children, we wish to possess certain material things- toys, chocolates or even good marks. As adults, our wishes may change to more materialistic things like cars, houses, etc. A wish may push you to work aggressively towards it.
Hope is a dream, a desire, a belief that helps you stay calm and peaceful. Hope is accompanied by faith. You hope for a happy and peaceful life, good health, family and friends. You enjoy the company of your friends. The friendship that develops during school days lasts forever. You may not meet each other regularly after leaving school, but the bond is always there. The various alumni associations are proof. There is no age bar in friendship, an eight-year-old and an eight-year-old may get along well. A strong bond of friendship and understanding may be witnessed even with a pet. Good friends are honest and loyal; they stay with you, accept you, regardless of the circumstances. True friends give you honest advice and correct you when you are in the wrong. Mutual respect and admiration strengthen the bond of friendship between friends. Hope and friendship are important for mental health.
दोस्त शब्द में गूढ़ अर्थ छिपा है ,
जो दोस्तों के दोषों को अस्त कर देता है ,
वही सच्चा मित्र बन अपना धर्म निभाता है |
न कोई शिकवा न कोई आशा होती है ,
बस स्वेच्छा से त्याग की भावना होती है |
दोस्ती में हर रोज़ मिलना जरूरी होता नहीं ,
बस एकबार दिल से रिश्ता जुड़ जाए
तो दोस्त कभी जुदा होता नहीं |
एक सच्चा दोस्त कभी अपने दोस्त के
रास्ते में आता नहीं ,
अगर एक गलत हो तो दूसरा हाथ पकड़
कभी छोड़ता नहीं |
प्रेम और त्याग की डोर से जुड़ी एक “ विश्वास ” है दोस्ती ,
क्योंकि दुनियाँ के सभी रिश्तों में बड़ी “ खास ” है दोस्ती |
इतिहास गवाह है इस बात का कि...................
मित्रता में कोई जात-पात या ऊँच-नीच नहीं है होता ,
बस प्रेम , त्याग और विश्वास निभाया है जाता |
श्री कृष्ण –सुदामा के रिश्तों को कौन भुला है पाया ?
बिन आशा और शर्तों के , राज-पाट मित्र सुदामा पर लुटाया |
महाभारत के धर्म युद्ध में , कर्ण - दुर्योधन से
नि:स्वार्थ मित्रता देख ,सबने मान लिया लोहा उसका |
बस अंत में इतना कहना है कि मित्रता में आशा रखना स्वाभाविक होता है और एक मित्र का दूसरे मित्र की आशा को पूरा करना उसका दायित्व होता है ||
Magnets DGS: Kiran Juyal, Manju Srivastava, Mezhu Chopra, Pooja Sharma and Renu Sundriyal
जो दोस्तों के दोषों को अस्त कर देता है ,
वही सच्चा मित्र बन अपना धर्म निभाता है |
न कोई शिकवा न कोई आशा होती है ,
बस स्वेच्छा से त्याग की भावना होती है |
दोस्ती में हर रोज़ मिलना जरूरी होता नहीं ,
बस एकबार दिल से रिश्ता जुड़ जाए
तो दोस्त कभी जुदा होता नहीं |
एक सच्चा दोस्त कभी अपने दोस्त के
रास्ते में आता नहीं ,
अगर एक गलत हो तो दूसरा हाथ पकड़
कभी छोड़ता नहीं |
प्रेम और त्याग की डोर से जुड़ी एक “ विश्वास ” है दोस्ती ,
क्योंकि दुनियाँ के सभी रिश्तों में बड़ी “ खास ” है दोस्ती |
इतिहास गवाह है इस बात का कि...................
मित्रता में कोई जात-पात या ऊँच-नीच नहीं है होता ,
बस प्रेम , त्याग और विश्वास निभाया है जाता |
श्री कृष्ण –सुदामा के रिश्तों को कौन भुला है पाया ?
बिन आशा और शर्तों के , राज-पाट मित्र सुदामा पर लुटाया |
महाभारत के धर्म युद्ध में , कर्ण - दुर्योधन से
नि:स्वार्थ मित्रता देख ,सबने मान लिया लोहा उसका |
बस अंत में इतना कहना है कि मित्रता में आशा रखना स्वाभाविक होता है और एक मित्र का दूसरे मित्र की आशा को पूरा करना उसका दायित्व होता है ||
Magnets DGS: Kiran Juyal, Manju Srivastava, Mezhu Chopra, Pooja Sharma and Renu Sundriyal
The Doon Girls' School, Dehradun
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