यह सत्य पूर्वजों द्वारा कथित है जो कि अभी भी सर्वत्र प्रचलन में है। यह कहावत ये कहना चाहती हैं कि अगर आपको किसी चुनौती का सामना करना पड़े और आपके सामने कोई ताकतवर विपक्ष हो और उस समय आपका मन उसके बारे में क्या सोचता है? अगर आप का मन दृढ़ निश्चय से उसका सामना करे तो उसमें आपकी जीत है और अगर आपने उस क्षण कुछ नकारात्मक सोचा तो हमारी हार निश्चित है। यह सब अपनी सकारात्मक एवं नकारात्मक सोच पर निर्भर है। यदि आपने किसी चीज को पाने की ठानी है और आप उस चीज के बारे में सकारात्मक हो तो आप उस चीज को हासिल कर सकते है। यदि आप नकारात्मक रहे तो आपका मन ही आपको वह कार्य करने से रोकेगा और आपको पराजीत करवाने में आपका साथ देगा।
एक बार दो व्यक्तियों ने एक ही रास्ते पर एक साथ चलना आरंभ किया। एक उत्साह से भर मंजिल की तरफ खुशी से बढ़ रहा था, दूसरा मार्ग की परेशानियों व रास्ते की दूरी को नाप रहा था। कुछ ही देर में वह मन से हताश हो गया और उसे चलना कठिन लगने लगा। वह थक कर बैठ गया और दूसरे से बोला क्या तुम और चल सकते हो। मैं तो बुरी तरह थक गया रास्ते में परेशानियां भी बहुत हैं तो मैं आगे नहीं जाऊंगा। दूसरा बोला - मुझे तो कोई थकावट या परेशानी नहीं है और अभी तो थोड़ा सा चला हूं मैं तो मजे करते-करते यूं ही रास्ता पूरा कर लूंगा। वह उस कार्य में सफल होता है, जबकि निराश व्यक्ति असफल। इसमें हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि जो व्यक्ति मन से हताश हैं उसका शरीर भी साथ नहीं देता। संसार का प्रत्येक कार्य मन के खेल पर आधारित है जिस कार्य को करने में मन खुशी महसूस करता है वह कठिन होते हुए भी सरल लगने लगता है। मान लिया हो कि वह फलां काम कठिन है नहीं होगा तो आसान से आसान काम भी करना असंभव लगता है। कोई भी काम या कैसा भी क्षेत्र हो मेहनत तभी सफल होती हैं जब मन में जीत का उत्साह हो, खुशी हो।
कितनी बार यह देखने को मिलता है शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति भी ऐसा काम कर देता है कि देखने वाले दांतो तले उंगली दबा देते हैं। मन की मजबूती सफलता का द्वार खोलती है, मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी मन को हतोत्साहित नहीं होने देती हैं और वह व्यक्ति शीघ्रता से उस हालात पर काबू कर कर लेता है और अपनी मनचाही जीत का रास्ता प्रशस्त कर लेता है। मन में अगर विश्वास हो तो छोटा सा काम भी बड़े से बड़ा काम भी आसान हो जाता है मन में जो शक्ति हैं वह अद्भुत शक्ति है। किसी ने ठीक ही कहा है : " मन के हारे हार है मन के जीते जीत......."
उर्मिला राठौड़
The Fabindia school
urd@fabindiaschools.in
मैदान में हारा हुआ व्यक्ति फिर से जीत सकता है, लेकिन मन से हारा हुआ कभी नहीं जीत सकता.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विवेचना, उर्मिला मैडम 🙏