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समय की पाबंदी से हटकर आज कुछ अलग बात करेंगे। जब जागो तभी सवेरा, अर्थात समय रहते सचेत हो जाओ, जब भी सचेत हो जाओगे वहीं से एक नई शुरुआत करो। यदि हम समय का सदुपयोग न करते हुए किसी काम को करें और उसका वांछित परिणाम नहीं मिले तो समय की महत्ता को समझते हुए हमें समय पर काम करना सीख लेना चाहिए।
मान लीजिए कोई व्यक्ति कुछ बुरी आदतों से ग्रसित है और वह अपने दायित्वों को ठीक से नहीं निभा रहा है। परंतु एक समय ऐसा आया कि उसे ठोकर लगी और उसने सब कुछ भुला दिया, अपनी बुरी आदतों को दरकिनार कर दायित्वों के निर्वहन के लिए प्रतिबद्ध हो गया। यही अवसर नए सवेरे के रूप में देखा जा सकता है। जहाँ उस व्यक्ति से किसी बात की अपेक्षा नहीं की जाती थी वही व्यक्ति एक बार पुनः अपने कर्तव्यों के निर्वहन हेतु तैयार हो जाता है तो इससे सुखद और क्या हो सकता है।
इसके अतिरिक्त यदि अपने किसी कार्य से अपनी प्रतिष्ठा का हास स्वयं ही कर डाला हो तो उस काम को सुधारा जा सकता है। ऐसा भी कहा जाता है कि ग़लतियाँ इंसान ही करता है किंतु आगे उन गलतियों को दोहराया न जाए ऐसी अपेक्षा भी इंसान से ही की जाती है। वर्तमान समय में यह बातें सभी को जाननी परम आवश्यक है क्योंकि हमारे आसपास ऐसे व्यक्ति हो सकते हैं, जो पुनः जागने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोगों को सहयोग की आवश्यकता होती है यदि उन्हें उनकी की हुई गलतियों का ही एहसास कराया जाएगा तो शायद वे कभी जागेंगे ही नहीं।
दुख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर,
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर ?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण।
इन पंक्तियों द्वारा कवि गिरिजाकुमार माथुर आगाह कर रहे हैं कि समय पर प्राप्त परिणामों का आनंद अलग ही होता है किंतु कुछ देर बाद भी परिणाम प्राप्त होता है तो दुख करने का विषय नहीं है। कुछ प्राप्त होना चाहिए था किंतु हमारी गलतियों के कारण वह हमें नहीं मिला, इसका पश्चाताप करने के बजाय आगेऐसी गलतियाँ न हो इसका निश्चय करके भविष्य वरण करना चाहिए।
प्रत्येक क्षण अपने साथ एक नया अवसर लेकर आता है इन अवसरों को पकड़ कर सफलता के लिए प्रयास करने चाहिए। कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि अब बहुत देर हो चुकी हैं। जब चाहे तब हम अपने जीवन को मनचाही दिशा में मोड़ सकते हैं। तभी यह कहावत भी चरितार्थ होगी कि जब जागो तभी सवेरा।
Krishan Gopal
kde@fabindiaschools.in
The Fabindia School
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