बच्चे कोरे कागज यानी खाली कागज की तरह होते हैं जैसे कोई कागज पर लिखेंगे वैसे अक्षर। वे अच्छी लिखावट से लिखेगें तो अच्छे अक्षर उभरेंगे और गंदी लिखावट में लिखेगें तो वैसे हीअक्षर उभरेंगे। इसलिए हमेशा बच्चों के सामने शिष्ट व्यवहार करना चाहिए। सबसे पहले माता-पिता व परिवार के व्यवहार की छाया बच्चों पर पड़ती है ।इसके पश्चात वह विद्यालय में प्रवेश करते हैं। विद्यालय में अध्यापकगण व साथियों के आचरण का प्रभाव उन पर पड़ता है। छोटे बच्चों के माता-पिता को छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना चाहिए। और उसे समय-समय पर अच्छे संस्कारों से अवगत कराते रहना.चाहिए।जैसे अगर बच्चे गलती करते हैं तो प्यार से उनको समझाना चाहिए कि उनको ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए ।
एक बार में नहीं समझे तो बार बार समझाना चाहिए गलती होने पर माफी जरूरी है। बच्चों को सही और गलत का फर्क बताना चाहिए। बच्चों के सामने सच बोलना चाहिए कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए । जब वे पानी व्यर्थ गिरा रहे हो तो उनको बताइए कि पानी कितना मूल्यवान है। जब भी बच्चे खाना खाए तो जितना खाए उतना ही देना चाहिए थाली में खाना नहीं छोड़ना चाहिए। बच्चों को पर्यावरण के बारे में बताना चाहिए कि कैसे हम सब को उस परत्रध्यान देना चाहिए।
बच्चों को सिखाइए कि कचरे को कूड़ेदान में डालें ,अपने बड़ों का आदर करें। उसेअपने से छोटे बच्चों से भी इज्जत से बोलना चाहिए ये सब संस्कार शिक्षक व परिवार से ही छोटी उम्र में ही मिलते हैं। बड़े होने पर जो शिष्टता बचपन में सीखी उसका प्रभाव जीवन भर रहता है। इसलिए हमेशा विनम्रता व शिष्टाचार का आचरण करना चाहिए। उससे ही अच्छे संस्कार बालक में पनपते हैं।
Rajeshwari Rathore
The Fabindia School
rre@fabindiaschools.in
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