parikalpanasamay.com |
यह भी संभव है कि हर रोज हम कई परिस्थितियों का सामना करते हैं तथा उसका मुकाबला भी करते हैं। परंतु कभी बड़ा संकट सामने आ जाए तो हार मान जाते हैं। ऐसे कई उदाहरण पढ़ने को मिले, जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सामना करने की प्रेरणा मिलती है। कई सारी बातें या घटनाएँ हमारे सामने प्रत्यक्ष घटित होती है।
ऐसी ही एक घटना का जिक्र करना चाहूँगा। स्कूल के वार्षिकोत्सव का समय था, प्रदर्शनी के लिए परियोजना कार्य चल रहा था। एक बालक को कुछ मिट्टी की मूर्तियाँ बनाने को कहा गया था। किंतु वह बालक बना नहीं पा रहा था या उसकी बनी मूर्तियाँ उपयुक्त नहीं थी। ऐसे में उसे यह कार्य करने से मना कर दिया गया। किंतु रविवार के अवकाश के पश्चात जब वह स्कूल आया तो पहले से काफी सुंदर मिट्टी की मूरत उसके हाथों में थी।
पूछने पर पता चला अवकाश के पूरे दिन वह बार-बार इसका अभ्यास करता रहा और अंत में परिणाम सामने था। वह कोई मूर्तिकार नहीं था या किसी से मदद नहीं मिली किंतु स्व-प्रेरणा से उसने यह काम पूरा किया। मनोयोग से था आत्मविश्वास के साथ किया गया कार्य निश्चित रूप से सफलता दिलाता है।
यह बात एक बालक की थी, यह उसके लिए एक बड़ी चुनौती थी परन्तु निश्चित रूप से बड़ों के सामने विकट समस्याएँ आ जाती है परंतु इन समस्याओं को हमें खुद को ही दूर करने का प्रयास करना होगा। कहा गया है “मन के हारे हार है मन के जीते जीत।” इसलिए मन से हार नहीं माननी चाहिए बल्कि यह विश्वास रखें कि निश्चित रूप से जीत हमारी होगी।
कई दिव्यांगजन हार न मानकर प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपने अनुकूल वातावरण तैयार कर लेते हैं। कई बार तो इन्हें किसी की मदद भी नहीं मिलती, फिर भी जीवन से हार न मानकर लड़ते जाते हैं। हमें भी लड़ना है तथा जीवन में आने वाली ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में तटस्थ रहकर उचित निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना है। धैर्य रखते हुए मानसिक संतुलन बनाए रखना है। तभी हम जीवन को सही मायने में दिशा दे पाएँगे।
Krishan Gopal, The Fabindia School <kde@fabindiaschools.in>
No comments:
Post a Comment