हम जैसे भी हैं पहले स्वीकार करें स्वयं को नहीं तो हम मजबूत और आत्मनिर्भर नहीं बन सकते हैं। हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता या हम किसी के जैसे नहीं बन सकते हैं। हमारे पास कुछ भी करने का हुनर तो बहुत है लेकिन हम कुछ बहाने बनाकर उसको नकारते हैं। कोई भी नया कार्य करने का अगर सोचते हैं तो उसकी शुरुआत तो हमें ही करनी होगी लेकिन अगर हम कुछ करने से पहले ही पीछे हट जाएंगे तो हम आगे कैसे बढ़ेंगे। हम कुछ गलती करने के लिए ही तैयार नहीं होंगे तो उसमें सुधार कैसे करेंगे। स्वयं की गलती को भी स्वीकारना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। दूसरों को कोसने की बजाय हमें पहले स्वयं में झांकना होगा और अपनी गलतियों को अपनाना और सुधार करना होगा।
एक छोटे बच्चे को ही ले लीजिए वह भी अगर कुछ काम करना चाहे तो पहले तो वह खुद कोशिश करेगा फिर जब नहीं होगा उससे तो वह बड़ों से मदद लेगा। वैसे ही हम लोगों को भी प्रयास करते रहना चाहिए और लोग क्या कहेंगे इस बारे में नहीं सोचना है लोग तो हमेशा दोनों तरफ से बोलेंगे अगर हम सफलता पाते हैं तो भी बोलेंगे और नहीं पाते हैं तो भी बोलेंगे इसीलिए स्वयं पर निर्भर होना सीखिए धन्यवाद।
कविता देवडा, द फैबइंडिया स्कूल <kda@fabindiaschools.in>
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