वर्तमान में हम आधुनिक हो चले हैं, समय के साथ बदलना ठीक भी है। जो समय के साथ चलता है, वह सफल रहता है। रहने का ढंग बदल गया, खानपान बदल गया, हमारे तौर-तरीके और रीति-रिवाज भी बदल गए। बदलाव का यह दौर ऐसा चला कि हमने बहुत कुछ बदल दिया। कुछ जगह बदलाव नहीं होना चाहिए था, वहाँ भी बदलाव हो गया। समय के साथ बदलने का तात्पर्य है, हम भी जमाने की दौड़ में साथ रहें किंतु इसका अर्थ यह नहीं कि हमारा जिससे अस्तित्व है, वही समाप्त कर दिया जाए।
हमारे प्राचीन ग्रंथों में एक से बढ़कर एक मूल्यों की बात कही गई है। आज इन्हीं मूल्यों का विघटन होते हुए देख रहे हैं। मूल्यों के विकास की चर्चाएँ की जाती है, छात्रों में मूल्य कैसे जागृत हो इस पर मंथन किया जाता है। साथ ही कई स्थानों पर इस पर टिप्पणियाँ भी की जाती है- पहले ऐसा होता था या वैसा होता था, अब नहीं होता। इन सबके लिए जिम्मेदार भी हम ही हैं। अपने ग्रंथों में दिए गए तथ्यों को पढ़ते नहीं या उन्हें स्वीकार करते नहीं क्योंकि हम बदल चुके हैं।
हमारे ग्रंथों ने हमें बहुत कुछ दिया है, इनमें जीवन मूल्य भी सम्मिलित है। कई बातों को पाप और पुण्य की अवधारणा से जोड़ दिया गया, जिससे मन में थोड़ा सा भय रहे और मनुष्य प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करें या जीवन मूल्यों का त्याग ना करें। जब तक इन प्राचीन ग्रंथों को लोग श्रद्धा पूर्वक पढ़ते थे, उन पर मनन करते थे तब तक कभी सांप्रदायिक दंगों का नामोनिशान नहीं था। प्रकृति से खिलवाड़ नहीं होता था। यही कारण था कि उस समय कभी कहीं अनावृष्टि या अतिवृष्टि नहीं होती थी।
इन प्राचीन ग्रंथों में धार्मिक ग्रंथ भी है, जिन्हें कोई पढ़ता नहीं है परंतु इनके लिए आपस में लड़ जाने के लिए तैयार रहते हैं। समाज को सही दिशा देने के लिए मनीषियों ने इन ग्रंथों की रचना की होगी, इनकी रचना में न जाने कितना समय तथा कितनी श्रम लगा होगा। हमारा काम तो सिर्फ इन्हें पढ़ना और अनुकूल वातावरण तैयार करना है। कुछ ग्रंथ तो हम पढ़ भी नहीं सकते क्योंकि वे जिस भाषा में लिखे गए हैं, वह हमारी समझ से दूर होती जा रही है। यह भी बदलाव का ही परिणाम है।
सीखो सब पर अपनी चीजों को, अपने वैभव को मत भूलो। आज यदि विश्व के साथ तालमेल रखना है तो हमें बहुत कुछ नया भी सीखना पड़ेगा। तभी हम विश्व में अपने देश को स्थान दिला पाएँगे परंतु ऐसा नहीं हो कि अपनी सभ्यता से मुँह मोड़ लें। अपने साहित्य पर हमें गर्व होना चाहिए, साथ ही इनका अध्ययन भी करते रहना चाहिए। कई सारे जीवन उपयोगी तथ्य हम अध्ययन मात्र से ही सीख जाएँगे।
Krishan Gopal
The Fabindia School, Bali
kde4fab@gmail.com
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