किशोरावस्था का अर्थ हैं बढ़ना या विकसित होना इस अवस्था में अनेक परिवर्तन होते हैं जैसे - शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक इस समय में अधिक बदलाव के कारण बच्चों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। वे अचानक से हूए वह शारीरिक परिवर्तन को अनुभव तो कर सकते हैं परंतु समझ नहीं पाते हैं वह इन परिवर्तनों के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं इसके लिए या तो सहकर्मी आयु की मदद लेते है या गुमराह करने वाले साहित्य पर निर्भर हो जाते हैं। गलत जानकारी मिलने से वे और भी परेशान हो जाते हैं इससे उनके मानसिक और शारिरिक विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता हैं।
इस दौरान परिवार की अहम भूमिका होती है क्योंकि इस समय जरूरत होती हैं उन्हें समझने की जैसे-जैसे वे इस अवस्था में प्रवेश करते हैं वे अपनी पहचान बनाना चाहते हैं इसलिए उनको अपने स्वयं के निर्णय लेने और अपने स्वयं के कार्य की जिम्मेदारी लेने के अवसरों को प्रदान करने की जरूरत हैं अगर वह कोई गलती करे तो उनको समझाएं और सही करने में सहयोग करें इस अवस्था में उनको समझाना बहुत आवश्यक हैं इसके लिए माता -पिता को पहले उनके अच्छे दोस्त बनने की आवश्यकता हैं क्योंकि इस दौरान उनको कोई समस्या आती हैं तो वे इस बारे में आपसे बात करेंगे उनके ऊपर विश्वास करे तथा उनको जिम्मेदार बनाए इसके लिए उन्हें कोई भी जरूरी कार्य दे और करने के लिए कहे सबसे आवश्यक है वह कुछ भी बात करें या करें तो उन पर विश्वास करें।
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