मनुष्य
से लेकर पशु-पक्षियों तक जिम्मेदारी
का दायित्व रहता
हैं। उस दायित्व
को निभाने पर
आत्म विश्वास और खुशी
मिलती हैं। जिम्मेदारियों
से मुँह मोड़ना
यानी असफलता की
ओर ले जाना
है, वह गैर
जिम्मेदार होता है।
मनुष्य की जिम्मेदारी
मात्र स्वयं के
लिए नहीं बल्कि
परिवार, समाज व
देश के प्रति
भी होनी चाहिए।
जिम्मेदारी निभाने वाला व्यक्ति
ही सफलता की
ओर बढ़ता है
क्योंकि वह
जानता है कि
वह जिम्मेदारी उठा
सकता है।
विद्यालय
एक बगीचा है जहाँ बच्चे उसके
फूल हैं, उन
फूलों को शिक्षक
शिक्षा के द्वारा
पोषण कराते हैं।
यही शिक्षक की
जिम्मेदारी है और
बच्चों के सर्वांगीण
विकास, व्यक्तित्व और विचारों
से भी जिम्मेदार
नागरिक बनाते हैं। विद्यार्थियों को
भी जिम्मेदारी देनी
चाहिए जैसे- कक्षा
में किसी एक
बच्चे को मॉनिटर
बना कर कक्षा
की देख-रेख
के साथ उन्हें
भी जिम्मेदारियाँ सौंपी
जानी चाहिए ताकि
उन्हें जिम्मेदारी समझ आए
।
हम
सभी शिक्षकों का
कर्तव्य बनता है
कि समाज और
विद्यालय के हर
बच्चे को सुसंस्कृत
एवं संस्कारी बनाने
का प्रयास करें,
जिससे वह देश और समाज का एक
जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
अनुशासन प्रेम एवं वात्सल्य
के साथ दी
गई शिक्षा ही
विद्यार्थियों को अच्छा
नागरिक बना सकती
है।बच्चों को
शुरू से ही
उनकी जिम्मेदारियों के प्रति प्रेरित करते रहना चाहिए।
घर की छोटी-छोटी जिम्मेदारियाँ जैसे- छोटे-मोटे
काम करना, सामान
लाना, घर में
मेहमानों को जलपान
कराना, माता पिता
के काम में
हाथ बँटाना आदि
से प्रेरित करना
चाहिए। इससे बड़े
होने पर वे अपनी जिम्मेदारियाँ स्वयं समझ
सकेंगे ।
बच्चों
की गलती को
प्यार से बताना
चाहिए ताकि वे
गलतियों
को नहीं दोहराए,
हमारा दायित्व केवल
उन्हें मार्गदर्शन करने का
होता है। शिक्षक
भावी पीढ़ी का
निर्माता होता है।
वह नई पीढ़ी
को अच्छे संस्कार
देते हैं । वह
ऐसी शिक्षा देते
हैं जो कठिन
परिस्थितियों से लड़ना
सिखाते हैं ।
शिक्षकों के ऊपर समाज
की सबसे ज्यादा
जिम्मेदारी रहती है
क्योंकि वह कई
बच्चों के भविष्य
के निर्धारक होते
हैं।
सहयोग
से सफलता मिलती
है । सहयोग की
आवश्यकता हर क्षेत्र
में होती है
। मानव समाज की
नींव पारस्परिक सहयोग
से ही होती
है । दूसरों
को सहयोग देकर
ही उन्हें हम
अपना सहयोगी बना
सकते हैं । बच्चे
के लालन- पालन
से लेकर वृद्धावस्था
तक परिवार, समूह
का परस्पर सहयोग
रहता है। सहयोग
एक भावना है
किसी को दबाव
से कार्य नहीं
करा सकते हैं।
सहयोग की आवश्यकता
सामाजिक क्षेत्र में, शैक्षणिक
क्षेत्र में, आर्थिक
क्षेत्र में होती
है ।
मानव
जीवन की सुरक्षा,
उन्नति और विकास के लिए
सहयोग आवश्यक है।
सहयोग से ही
व्यक्ति व्यवहार करना सीखता
है और निर्णय
करने की क्षमता
आती है। सहयोग
एक दूसरे के
माध्यम से होता
है। मनुष्य अपनी
सभी आवश्यकताओं की
पूर्ति अकेला नहीं कर
सकता। बड़े लक्ष्य
के लिए और
व्यापक प्रभाव के लिए
और विकास के
लिए उसे हमेशा
दूसरों की सहायता
की आवश्यकता पड़ती
है । दो या
दो से अधिक
व्यक्तियों द्वारा किसी कार्य
को करने के
लिए किया जाने
वाला सामूहिक प्रयत्न
सहयोग होता है
जैसे- हमारे विद्यालय
में My Good School की गतिविधियाँ सहयोग पर ही
टिकी है। सहयोग
से आपस में, समूह में कार्य
करना, मिलजुल कर
कार्य करना सीखते
हैं।
Usha Panwar
The Fabindia School, Bali
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