Sunday, June 7, 2020

विनम्रता और प्रशंसा: राजेश्वरी राठौड़


विनम्रता आत्मसम्मान का विशेष गुण हैविनम्रता जैसे गुण से व्यक्ति धैर्यवान व संयमी हो जाता हैदूसरों के सहयोग व सहायता का भाव ही हमको विनम्र बनाता हैअहंकार सदैव दूसरों की आलोचना करवाता हैविनम्रता व्यक्ति को स्वच्छ व ईमानदार बनाती हैयह आपको सहसंबंध स्थापित करने के योग्य बनाती है

जिस किसी भी व्यक्ति के पास विनम्रता होती है वह व्यक्ति से मनुष्य बन जाता है क्योंकि विनम्रता अपने साथ मनुष्यता को लाती है। संवेदनाओं को लाती हैं, भावनाओं को लाती है, और भावनाएँ और संवेदनाएँ व्यक्ति को इंसान बना देती हैऐसे ही विद्यालय में शिक्षकों का विनम्रता का व्यवहार विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। कक्षा-कक्ष में शिक्षकों द्वारा कहानी कहना, किसी महान नेता के जीवन से जुड़ी घटना बताना इत्यादि के माध्यम से छात्रों में विनम्रता का गुण विकसित किया जा सकता है

इसी तरह परिवार व समाज में भी विनम्रता का एक विशेष महत्व है। बालक सबसे पहले परिवार के साथ रहता है, उसको भी दैनिक कार्य व छोटी-छोटी बातों से उसे विनम्रता का भाव सिखाया जाना चाहिएउसे क्षमा शीलता का भाव होना चाहिएविद्यालय में शिक्षकों द्वारा छात्रों में आपस में एक दूसरे की मदद करने पर आभार प्रकट करना चाहिएऐसी भावना रखने से ही बालक को अच्छा इंसान बनाया जा सकता है। विनम्रता मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत हैउससे ही मनुष्य एक अच्छा नागरिक बन सकता है
प्रशंसा का अर्थ है किसी की बढ़ाई करना है। हमें अपने स्वजनों संबंधियों की परिचित, अपरिचितों की सत्प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। हर एक मनुष्य में कुछ हुनर होता है उस हुनर की अच्छाइयों को पहचानना चाहिए और उसे प्रोत्साहित करना चाहिएजिससे उनके सद्गुण बढे। साहस व आत्मविश्वास बढ़ाकर ही किसी को श्रेष्ठता के कठिन सन्मार्ग पर चलाया जाना संभव हो सकता है। दमन और दंड से निंदा और तिरस्कार से कोई दुर्गुण दब तो जाते पर अवसर मिलने पर वे हिंसा के साथ और भी भयंकर रूप से प्रकट होते हैं

दोषों का उन्मूलन तो गुणों की वृद्धि से ही संभव हैऐसे ही कक्षा-कक्ष में एक शिक्षक छात्र की प्रतिभा को पहचानता है, उसे और विकसित करने के लिए विद्यार्थी को प्रोत्साहन देता है ताकि वह अपने कार्य को और रुचि से और अच्छे से करेंजैसे- महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को धनुष विद्या अच्छे से सिखाई और आज पूरे संसार में अर्जुन की प्रशंसा की जाती हैगुणों को बढ़ाने में प्रोत्साहन और प्रशंसा का मार्ग सर्वश्रेष्ठ हैं विनम्र व्यक्ति की ही सच्ची प्रशंसा की जाती है
Rajeshwari Rathore
The Fabindia School, Bali

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