स्वतंत्रता एक शक्तिशाली शब्द हैं। स्वतंत्रता का अर्थ है "बंधनों का अभाव” औपचारिक
दृष्टि से विवेकशील कर्ता के लिए स्वतंत्रता की मांग, प्रतिबंधों का ना होना। जब व्यक्ति स्वतंत्र होगा तब ही वह विवेक से निर्णय की शक्ति से रचनात्मक और क्षमताओं का विकास कर सकता है।
स्वतंत्रता के तीन रूप होते हैं पहला
रूप है किसी बात से स्वतंत्रता, दूसरा रूप किसी बात के लिए स्वतंत्रता और तीसरा रूप है किसी बात की प्रक्रिया
है। मानव एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक
रीति-रिवाजों और देश के कानून का पालन आजाद माहौल में करने
को स्वतंत्र हो जैसे भोजन,
वस्त्र रूचि और अभिरुचियाँ आदि।
हमारे जीवन के व्यक्तिगत पहलू
जैसे शिक्षा, व्यवसाय
में अपने परिवारजनों के विचार लें लेकिन पसंद स्वयं की होगी। शिक्षा प्राप्त करने के बाद विद्यार्थियों को खुद
ही व्यवसाय चुनना चाहिए। परिवारजनों के केवल विचार जान सकते हैं लेकिन
अपनी रुचि के अनुसार व्यवसाय करना चाहिए। स्वतंत्रता से अपना कार्य रुचिपूर्वक
करना चाहिए। मनुष्य की इच्छा और कार्य पर किसी प्रकार की रुकावट या मर्यादा नहीं
होनी चाहिए।
अपने पूर्ण विकास के लिए समान अवसर
प्राप्त हो सके सभी व्यक्तियों को समान अवसर एवं समान स्वतंत्रता
प्राप्त होनी चाहिए।
शांति, शिक्षा, मूल्य, ज्ञान और व्यवहार कौशल विकसित करने की प्रक्रिया है। जो मनुष्य दूसरों के साथ और प्राकृतिक वातावरण के साथ मिलकर रहती हैं। हमारे अंदर शांति आएगी तो विकास होगा। शांति बनाने के लिए संवेदनशील बनना पड़ता है। हम शिक्षा के
क्षेत्र में एक शिक्षक तभी विद्यार्थियों की भावनाओं
को समझ कर उनकी
समस्या का निवारण कर सकता है और विषय ज्ञान में वृद्धि कर सकता है।
इस तरह हमारे पास दुनिया का पूरा वैभव और सुख
साधन उपलब्ध है परंतु शांति नहीं है तो हम भी दुखी आदमी की तरह ही हैं। सुख का शांति से गहरा
रिश्ता है। झगड़ा, दुख और लालच को बंद करने के लिए शांति एक शक्तिशाली औजार की तरह
है। हमारे घर परिवार व समाज में शांति
सदभाव होगा
तब ही हमारे राष्ट्र का विकास हो
सकेगा इसीलिए मानव जीवन में शांति का होना आवश्यक है। शांति अच्छे संस्कारों व शिक्षा
से ही सीख सकते हैं। जहाँ शांति हो वहाँ आनंद का माहौल होगा
तो हर व्यक्ति स्वतंत्र होगा तब ही अपने राष्ट्र का विकास कर सकेगा।
Rajeshwari
Rathore
The Fabindia School, Bali
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