हम सभी अपने जीवन की यात्रा बहुत से उम्मीदों,
सपनों, लक्ष्यों और प्रेरणाओं के साथ आरम्भ करते हैं। उस समय सफलता के लिए हमारा
मूल मंत्र होता है- मैं जीतूँगा /जीतूँगी। हम अपने जीवन में समाज को कुछ
बनने या कर दिखाने की योजना बनाते हैं। हम जल्दी से जल्दी सफलता पाना चाहते हैं।
परन्तु मार्ग में परिस्थिति और संयोग के तूफानों में फँस जाते है। अकल्पनीय
चुनौतियाँ, कठिनाइयाँ और परिस्थितियाँ मार्ग में आ जाती हैं। ऐसे समय में यह
प्रतीत होता है कि हमारे लक्ष्य और सपने बिखरते जा रहे हैं। हम उम्मीद का दामन छोड़ने लगते हैं। हम सोचने लगते है कि क्या कभी हम अपने लक्ष्यों
को प्राप्त कर पाएँगे। कभी-कभी तो हम अपने आपको ऐसी परिस्थितियों में पाते हैं,
जहाँ दूर-दूर तक सिर्फ और सिर्फ नाउम्मीद ही नजर आती है। परन्तु कभी-कभी एक
छोटी सी उम्मीद की किरण भी हमारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होती है।
एक बार कोई व्यक्ति परिस्थितियों से घबरा कर
आत्महत्या करने जा रहा था। संयोग से उसकी मुलाकात रास्ते में एक संत से हो
गई। वह रोने लगा और कहने लगा, मेरा सब कुछ नष्ट हो गया। सारी संपत्ति स्वाहा
हो गई। मैं मिट्टी में मिल गया। हाय, अब मेरे पास बचा ही क्या है? मुझे मर जाना
चाहिए। संत ने कहा- तू अपने आपको गरीब कहता है। तेरे पास धन-दौलत, भोग-विलास की
वस्तुएँ नहीं है तो क्या हुआ? ला, अपनी एक आँख मुझे दे दे। मैं तुझे पाँच
हजार रुपये अभी देता हूँ। दोनों कान काट कर वो भी दे दे। दस हजार ऊपर से और दूँगा।
पर वह तैयार नहीं हुआ। तब संत ने समझाया - तेरे पास यह लाखों रुपयों का कीमती
शरीर है, ईश्वर ने तुझे इतनी बहुमूल्य संपत्ति तुझे दी है, फिर भी तू
अपने आपको गरीब कहता है। यह सुनकर निराश व्यक्ति में आशा का संचार हुआ और आगे जाकर
वह सफल भी हुआ।
दोस्ती या मित्रता जीवन के सबसे कीमती उपहारों में से
एक है। एक व्यक्ति जिसकी जिंदगी में सच्चे दोस्त है, वह भाग्यशाली है। सच्ची मित्रता
जीवन को रोमांचकारी बनाती है। इससे हमारे जीवन को सुखमय और मिठास से भरा हुआ अनुभव
प्राप्त होता है। एक बात पूर्ण रूप से सत्य है दोस्ती, प्यार साझा करने और देखभाल
की भावना है। यह एक ऐसी भावना है कि जिसमें कोई व्यक्ति आपको समझता है और आपकी
सराहना या प्रशंसा करता है। मित्रता, अच्छी और आवश्यक दोनों होती है। मनुष्य इस
लम्बे जीवन में अकेले नहीं रह सकता वह एक सामाजिक अस्तित्त्व है।
उसकी ख़ुशी और दुखों को बाँटने के लिए एक सहारे
की आवश्यकता पड़ती है। जो दोस्त से पूरी होती है। दुनिया में कई दोस्त होते हैं, जो
हमेशा समृद्धि के समय ही साथ रहते हैं। लेकिन केवल सच्चे, ईमानदार और
वफादार दोस्त ही होते हैं, जो हमें कभी भी हमारे खराब, कठिनाई और
मुश्किल के समय हमें अकेले नहीं होने देते। मित्रता, किसी भी दूसरों से या स्वयं
के द्वारा प्रभावित हो सकती है। इसलिए हमें इस संबंध में संतुलन बनाने की
आवश्यकता होती है।
कभी - कभी अहंकार और स्व - सम्मान की बात के
कारण दोस्ती टूट जाती है। सच्ची दोस्ती में विश्वास, संतोष एवं उचित समझ की कोई
कमी नहीं होती है। सच्चा दोस्त कभी शोषण नहीं करता है, बल्कि एक - दूसरे को
जीवन में सही काम करने के लिए प्रेरित करता है।
Ayasha Tak
The Fabindia
School, Bali
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