आदर, यह एक बहुत ही मूलभूत मानवीय गुण हैं लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह गुण जब तक नहीं सीखा जा सकता है जब तक हम दूसरों का आदर करना नहीं सीखते हैं। यह गुण किसी भी व्यक्ति के चरित्र निर्माण में एक मजबूत स्तंभ का कार्य करता है जैसा कि एक प्रसिद्ध कहावत है " आदर दीजिए आदर पाइए " अर्थात यह एक परस्पर अंतर क्रिया है और एक तरफा नहीं है।
हम किसी से अपने धनबल बाहुबल या अन्य किसी प्रभाव से अपना दिखावटी आदर करवा सकते हैं परंतु सच्चा आदर प्राप्त करने के लिए हमें छोटे बड़े ऊंच-नीच पद को दृष्टिगत नहीं रखते हुए मानव मात्र का सम्मान करना चाहिए। हम किसी का निस्वार्थ भाव से सम्मान करते हैं तो प्रत्युत्तर में हमें भी आंतरिक ह्रदय से सम्मान प्राप्त होता है यही मानवीय गुण की सच्ची व्याख्या है।
Rajeshwari Rathore
The Fabindia School
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