मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । वह समाज में जीवन वहन करने के लिए कई प्रकार के क्रियाकलाप करता है। जिनमें किसी कार्य में सफलता जल्दी मिल जाती है किसी में समय लगता है। यहीं से एक मनुष्य की अपनी परीक्षा प्रारंभ होती है।
यदि वह धैर्यवान है तो कठिनाइयों से लड़कर विजय प्राप्त कर लेता है। परंतु अधीर मनुष्य जल्दी ही मैदान छोड़कर भाग खडा होता है जैसा कि एक कहानी मे एक योग्य राजा अपनी कई हार से निराश होकर एक गुफा में बैठा था तभी उसने एक चींटी को बड़ा सा भोजन का टुकड़ा लेकर दीवार पर चढ़ते देखा, वह बार-बार नीचे गिरती है परंतु 17 वी बार में वह सफल हो जाती है।
यह उसकी हिम्मत व धैर्य की जीत है। उसी प्रकार मनुष्य को धैर्यशील होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। एसे संकट के समय में धैर्य रखना चाहिए तभी हमें सफलता प्राप्त होगी।
Rajeshwari Rathore
The Fabindia School
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