बच्चों से ही संसार है |
इससे ही मुस्काता घर द्वार है ||
ये ही हैं भविष्य हमारे |
इनसे ही रौशन देश हमारे ||
तुम्हीं हो माता-पिता के नयन तारे |
छोटे - छोटे, नन्हें-मुन्ने, प्यारे-प्यारे ||
तुमसे खिलतीं कलियाँ प्यारी |
तुमसे ही रोशन दुनियाँ हमारी ||
तुम विद्यालय की शान हो |
तुम विद्यालय के अभिमान हो ||
नेक राह पर सदा ही चलना |
पढ़-लिखकर तुम अपनी मंज़िल पाना ||
विश्व में अपनी तुम पहचान बनाना |
नित्य कर्म पथ पर चलते रहना ||
उज्ज्वल-मय हो भविष्य तुम्हारा |
इतना आशीष सदैव रहे हमारा ||
इससे ही मुस्काता घर द्वार है ||
ये ही हैं भविष्य हमारे |
इनसे ही रौशन देश हमारे ||
तुम्हीं हो माता-पिता के नयन तारे |
छोटे - छोटे, नन्हें-मुन्ने, प्यारे-प्यारे ||
तुमसे खिलतीं कलियाँ प्यारी |
तुमसे ही रोशन दुनियाँ हमारी ||
तुम विद्यालय की शान हो |
तुम विद्यालय के अभिमान हो ||
नेक राह पर सदा ही चलना |
पढ़-लिखकर तुम अपनी मंज़िल पाना ||
विश्व में अपनी तुम पहचान बनाना |
नित्य कर्म पथ पर चलते रहना ||
उज्ज्वल-मय हो भविष्य तुम्हारा |
इतना आशीष सदैव रहे हमारा ||
---धर्मेन्द्र पोद्दार
भाषा विभाग प्रमुख, सेक्रेड हार्ट स्कूल, सिलीगुड़ी
(प्रस्तुत कविता घर, ग्राम, समाज, राष्ट्र के भावी निर्माता व देश के धरोहर बच्चों को समर्पित है | यह कविता “बाल-दिवस” के अवसर पर लिखी गई है )
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