वर्तमान स्थिति कई बच्चों को आजकल हर शाम गृहकार्य करने में घंटों समय लगाना पड़ता है। कुछ लोगों का मानना है कि इससे बच्चों को उनके शैक्षणिक जीवन में मदद मिलेगी। कुछ लोगों को लगता है कि गृहकार्य ज्यादातर बेकार है।
गृहकार्य के सकारात्मक पहलू कुछ इस प्रकार है -
गृहकार्य के कई फायदे हैं ,अगर इसे सही मात्रा में एवं सही समय पर दिया जाए। इसका कारण यह है कि छात्रों को विद्यालय में जो भी नया सिखाया जाता है उसको स्मरण रखने के लिए अभ्यास की आवयश्कता होती है। घर पर चुपचाप बैठकर यह पता लगाना होगा कि वे नई जानकारी एवं नए विचारों को कितनी अच्छी तरह समझते है ? गृहकार्य के द्वारा शिक्षक को यह जानने में सहायता मिलती है कि छात्रों ने क्या सीखा और जो भी पढ़ाया गया है वह छात्रों को कितना समझ में आया है ? गृहकार्य के द्वारा बच्चों की शिक्षा में माता -पिता को भी शामिल किया जा सकता है। अगर माता -पिता पढ़े -लिखे होते हैं , तो बच्चे की गृहकार्य में सहायता कर सकते हैं। वे बच्चे को प्रोत्साहित कर सकते है और उनकी प्रगति देख सकते है।
गृहकार्य के नकारात्मक पहलू कुछ इस प्रकार है -
शिक्षकों को गृहकार्य देने के दौरान गृहकार्य की मात्रा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। बहुत ज्यादा मात्रा में गृहकार्य देने से बच्चे परेशान हो जाते है। उन्हें खेलने व आराम करने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। इससे बच्चों में तनाव की समस्या उत्पन्न हो सकती है। लम्बी छुट्टियों में बच्चों को गृहकार्य करना पसंद नहीं होता है। फिर भी वह गृहकार्य को बोझ समझ कर जैसे-तैसे खराब लिखावट में कर देते हैं और अध्यापक को देखने-समझने एवं जाँचने में परेशानी आती है।
बच्चों को विद्यालय से घर आने के बाद में अन्य अध्यापक के पास में पढ़ने के लिए नहीं भेजना चाहिए। इससे उस पर कार्यभार बढ़ सकता है। उसके विद्यालय के अध्यापक एवं अन्य अध्यापक के पढ़ाने का तरीका अलग -अलग हो सकता है। इससे छात्र को समझ नहीं आता कि कौन सही व कौन गलत पढ़ाता है। जो अध्यापक घर पर भी पढ़ाते है, अगर उनको जिस विद्यालय में वे नौकरी करते है, उस विद्यालय में ही उनकी तनख्वाह अच्छी मिलती हो तो उनको और पैसे कमाने के लिए घर पर शिक्षण कार्य करने की जरूरत ही न पड़े। वे उस समय को अपने विद्यालय में अपने कार्य को और बेहतर बनाने के लिए योजना बनाने में उपयोग कर सकते है।
Ayasha Tak
The Fabindia School, Bali
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