गृहकार्य
विद्यालय में दी गई शिक्षा का पूरक
अंश है। कार्य बच्चों को घर में पढ़ाई करने के लिए एक प्रचलित तरीका है। अनेक छात्र छात्राओं के लिए गृहकार्य किसी बोझ के समान होता है। और इस इसका स्पष्ट कारण
है उनकी उस विषय में रुचि न होना, पर अगर हम शिक्षक एक छात्र के नजरिए से गृह कार्य को रोचक बनाएं तो छात्र गृह कार्य को रुचि पूर्वक करेगा। विद्यालय
में योजना पूर्वक शिक्षक को गृहकार्य देना चाहिए ।
प्राइमरी कक्षा व मिडिल
कक्षाओं में दो विषय में ही गृहकार्य देना चाहिए। गृह कार्य के बहाने अभिभावक अपने बच्चों की शैक्षणिक योग्यता की परीक्षा
भी ले सकते हैं। गृहकार्य में रुचि ले रहा है तो विद्यालय में
सुचारू रूप से पढ़ाई चल रही हैं।
अगर छात्र बार-बार परेशान
होकर अभिभावक से सवाल पूछ रहा है तो अभिभावक परेशान होकर उसे ट्यूशन भेज देते हैं यह
समझ नहीं पाते हैं ट्यूशन में पढ़ाने का तरीका अलग होता है, इससे बच्चों
का दिमाग मानसिक रूप से छोटी कक्षाओं में दो भागों में विभाजित
हो जाता है इसलिए ट्यूशन नहीं भेजना चाहिए विद्यालय
में अच्छे प्रशिक्षित अनुभवी शिक्षक होने चाहिए जो बच्चों की भावनाओं को समझे
और कर्तव्यनिष्ठा व इमानदारी से बच्चों की शिक्षा में मार्गदर्शन करें इससे बच्चों
को गृहकार्य में कोई बाधा व परेशानियां नहीं आए।
शिक्षक अपने विषय को इतना
रोचक बनाएं की विद्यार्थी उसमें रुचि पूर्वक गृहकार्य करें। छोटी कक्षाओं में गृहकार्य देना चाहिए, अगर गृहकार्य
बच्चा नहीं करके लाया तो शिक्षक को कारण
जानना चाहिए और उस कारण के अनुसार उसकी परेशानियों को दूर करना
चाहिए। अतः अध्यापक अपने विषय को रोचक बनाएगा तभी छात्र उस विषय
में गृहकार्य रुचि पूर्वक करेगा।
Rajeshwari Rathod
The Fabindia
School, Bali
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