मनुष्य
एक सामाजिक प्राणी
हैI मानव
को योग्यता और
आवश्यकतानुसार कार्य करना, उसका
कर्तव्य पालन कहलाता
है I मनुष्य के
जीवन में अथाह कर्तव्य
है, कर्तव्य
उसकी आयु के
अनुसार छोटे और
बड़े होते हैं
उनको करने से
जीवन में खुशी,
आत्मिक शांति और यश मिलता हैI
अतः बचपन से
ही अच्छी आदतों
का पालन करना
हमारा पहला कर्तव्य
हैI यह आदतें
यह है माता-
पिता, परिवार व विद्यालय
से बालक सीखता
हैI
विद्यार्थी जीवन मानव जीवन की आधारशिला हैI विद्यार्थी जीवन में नैतिक गुणों को अपनाता है जैसे बचपन से ही अच्छी आदतों को डालना हमारा पहला कर्तव्य है ठीक समय पर सोना और उठना, शरीर की सफाई रखना ताजा व स्वास्थ्यवर्धक भोजन करना, ध्यान से पढ़ना-लिखना आदि ऐसे ही अनेक कर्तव्य निभाए जा सकते हैंI सबसे पहले अपने बड़ों का कहना मानना, विद्यालय में अनुशासित जीवन बिताना, अपने शिक्षकों की आज्ञा मानना दूसरों के हित के लिए अपना स्वार्थ का त्याग करना, हमारा कर्तव्य हैI
एक अच्छा नागरिक होने के कारण देश के प्रति भी हमारे कर्तव्य हैंI देश के कानून को मानना व अच्छे कार्य करना और अनुशासन पालन करना I वही उसके व्यक्तित्व वह चरित्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है, अपने सहपाठियों के साथ मृदुल व्यवहार रखना भी विद्यार्थी का परम कर्तव्य हैं I तभी वह राष्ट्र का अच्छा नागरिक बन सकता हैI ईमानदारी से अपना कार्य करना उसका परम कर्तव्य हैI कार्य छोटा हो या बड़ा कार्य उसे ईमानदारी व लगन-मेहनत व रुचि के साथ किया जाएI यह सब बालक बचपन से ही अच्छे संस्कारों के मिलने से कर सकता है, इसलिए परिवार और विद्यालय का अनुशासन ही बालक को अच्छे संस्कार दे सकता है तभी वह राष्ट्र का अच्छा नागरिक बन सकता हैI
विद्यार्थी जीवन मानव जीवन की आधारशिला हैI विद्यार्थी जीवन में नैतिक गुणों को अपनाता है जैसे बचपन से ही अच्छी आदतों को डालना हमारा पहला कर्तव्य है ठीक समय पर सोना और उठना, शरीर की सफाई रखना ताजा व स्वास्थ्यवर्धक भोजन करना, ध्यान से पढ़ना-लिखना आदि ऐसे ही अनेक कर्तव्य निभाए जा सकते हैंI सबसे पहले अपने बड़ों का कहना मानना, विद्यालय में अनुशासित जीवन बिताना, अपने शिक्षकों की आज्ञा मानना दूसरों के हित के लिए अपना स्वार्थ का त्याग करना, हमारा कर्तव्य हैI
एक अच्छा नागरिक होने के कारण देश के प्रति भी हमारे कर्तव्य हैंI देश के कानून को मानना व अच्छे कार्य करना और अनुशासन पालन करना I वही उसके व्यक्तित्व वह चरित्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है, अपने सहपाठियों के साथ मृदुल व्यवहार रखना भी विद्यार्थी का परम कर्तव्य हैं I तभी वह राष्ट्र का अच्छा नागरिक बन सकता हैI ईमानदारी से अपना कार्य करना उसका परम कर्तव्य हैI कार्य छोटा हो या बड़ा कार्य उसे ईमानदारी व लगन-मेहनत व रुचि के साथ किया जाएI यह सब बालक बचपन से ही अच्छे संस्कारों के मिलने से कर सकता है, इसलिए परिवार और विद्यालय का अनुशासन ही बालक को अच्छे संस्कार दे सकता है तभी वह राष्ट्र का अच्छा नागरिक बन सकता हैI
Rajeshwari Rathore
rre4fab@gmail.com
The Fabindia School, Bali
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