खेल
विद्यालयी जीवन का एक
महत्वपूर्ण हिस्सा है। खेल
सीखने के लिए
आवश्यक है, विद्यार्थी खेल
ही खेल में
कई प्रकार के
कौशल सीख जाता
है। निश्चित रूप से खेल
बालकों को चुस्त
और स्वस्थ रखता
है। खेलों द्वारा छात्र
कई मूल्य सीख
जाते हैं जैसे-
निष्पक्षता, साहस, नेतृत्व-भावना,
दलीय-भावना आदि।
कक्षा
में भी खेल-विधि का प्रयोग
कर छात्रों को
बहुत कुछ सिखाया
जा सकता है।
प्राथमिक कक्षाओं के लिए ये
पद्धति अधिक उपयुक्त है।
संख्याओं, पहेलियों और शब्दों के
खेलों के माध्यम
से पढ़ाया जा
सकता है। खेलों के
माध्यम से छात्रों की
जिज्ञासा बढ़ती है और
वे अधिक सीखने
के लिए प्रोत्साहित होते
हैं। इस प्रकार छात्र
कक्षा में अधिक
चौकस रहेंगे और
जानने के लिए
उत्सुक रहेंगे।
जिज्ञासा, उत्साह का
कारण बनती है।
इसी प्रकार एक
बच्चे का दिमाग
कई दिशाओं में
काम करना शुरू
कर देता है।
उनकी रचनात्मकता और
कल्पना में वृद्धि
होती है। नई अवधारणाओं का
जन्म होगा। अपनी समस्याओं का
समाधान खोजेंगे और
उनका सीखना कभी
बंद नहीं होगा।
एक
बार यदि बालक
की नींव मजबूत
हो जाए तो
उच्च कक्षाओं में
आसानी रहती है।
वे आत्मविश्वास के
साथ, बिना किसी
डर के दुनिया
का सामना करने
लिए सक्षम होंगे।
किसी भी परिस्थिति में
निर्णय लेने हेतु
स्वतंत्र होंगे। माता-पिता
और शिक्षकों को
चाहिए कि वे
बालकों का मार्गदर्शन और
समर्थन करें चाहे
बालक किसी स्थान
पर असफल हो।
इससे उनका आत्मसम्मान बढ़ेगा
और बेहतर करने
का प्रयास करेंगे ।
Krishan Gopal
kde4fab@gmail.com
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