लिखना एक खूबसूरत कला है क्योंकि लिखते हैं तब हम खुद के करीब होते हैं। लिखना एक तरह की भाषा भी है। व्यक्ति अपने विचारों को दो प्रकार से प्रकट करता हैं- बोलकर और लिखकर। जब दूसरा व्यक्ति पास में हो तो अपने विचारों को बोलकर प्रकट करता है। दूर या साक्षर हो तो लिखकर वह अपने भाव प्रकट करते हैं। बच्चे पहले सुनकर, सोचकर, बोलकर फिर लिखना शुरू करते हैं। एक शिक्षक को लेखन कौशल का विकास करने के लिए लेखन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, बार बार लिखने का सुझाव देना चाहिए बच्चे जितना अधिक पुस्तकें पढ़ेंगे उतना अधिक भाषा व लेखन में कौशल समृद्ध होंगे। पढने- लिखने की प्रक्रिया साथ साथ चलती हैं और एक दूसरे को समृद्ध करती हैं।
लेख लिखते समय आसान शब्दों का प्रयोग करना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोग समझ पाए। एक ही बात या शब्दो को बार-बार प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। जो कुछ सोचते है पढते है उसे अच्छे सुंदर विचारों में लिखकर प्रकट करते है। पढ़ी हुई सामग्री बच्चों को लिखने का आधार देती हैं लिखने की प्रक्रिया में वे पढ़ी हुई संरचना को ध्यान में रखते हुए सोचकर लिखने का प्रयास करते हैं।
लेखन पर बच्चों से बातचीत करना चाहिए और उसे बेहतर करने के लिए सुझाव और प्रतिदिन डायरी में लिखने की आदत रखना चाहिए। इस प्रकिया में शिक्षक अच्छे लेखन के नमूने बच्चों को दिखाकर उन पर बातचीत कर सकते हैं। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। बच्चों को गतिविधियों के द्वारा अलग-अलग विषय या किसी के बारे में लेख या कुछ वाक्य, कहानियाँ लिखने के लिए देना चाहिए।
बच्चों को पढ़ना-लिखना केवल पाठ्य-पुस्तकों में ही नहीं बल्कि बाल साहित्य, अन्य रूचिकर सामग्री, पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। लिखना एक तरह की भाषा है अपने अनुभव को डायरी में लिखना यानी किसी और दिन पढ़ने की सामग्री सुरक्षित रखना है।
Usha Panwar
The Fabindia School, upr4fab@gmail.com
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