हमारी वाणी में इतनी शक्ति होती हैं कि हम किसी को भी अपना बना सकते हैं और किसी को भी अपने से दूर कर सकते हैं यदि हम प्रेम पूर्वक किसी से बातचीत करते हैं तो अवश्य ही वे अपनी ओर आकर्षित हो जाएँगे और यदि हम कर्कश व कठोर शब्दों का प्रयोग करते हैं तो कोई भी हमसे दूर हो सकता है अथवा कोई भी हमसे बातचीत करना पसंद नहीं करेगा। मधुर वाणी केवल सुनने वालों को ही नहीं बल्कि बोलने वाले को भी आत्मिक सुख प्रदान करती हैं।
किसी के दुख़ में हम सहानुभूति के शब्द भी बोल दे तो वे उसे बहुत सहारा देते हैं । मृदुभाषी सदा सम्मान पाते हैं । सभी लोग उनकी प्रशंसा करते हैं । प्रेम- सौहार्द से समाज में मेल जोल बढ़ता हैं।
कबीरदास जी कहते हैं कि ''ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय”।
विनम्र स्वभाव और मीठी वाणी का हर तरह की सफलता में योगदान रहता है इसलिए मनुष्य को हमेशा मीठी वाणी बोलनी चाहिए।
वाणी में इतनी शक्ति होती है कि कड़वा बोलने वाले व्यक्ति का शहद भी नहीं बिकता है जब कि मृदुभाषी व्यक्ति की मिर्ची, करेला जैसी वस्तु भी बिक जाती हैं । ज़रुरी नहीं कि हम केवल मिठाई खिलाकर ही दूसरों का मुँह मीठा करें, हम मीठा बोलकर भी खुशी दे सकते हैं ।
मृदुभाषी में इतनी ताकत होती है कि पराया व्यक्ति या दुश्मन भी अपना हितैषी बन जाता है । कबीरदासजी कहते हैं कि “जिहवा में अमृत बसै जो कोई जाने बोल, बिष बासुकि का उतरै जिह्वा तानै हिलोल।।"
उषा पंवार, email: upr4fab@gmail.com, The Fabindia school, Bali
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