मैं सबसे पहले हाल में घटी एक घटना की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। यह उन छात्रों से संबंधित है, जो तरह-तरह के मासूम बहाने बनाकर कक्षा का ध्यान बाँटना चाहते हैं।
एक दिन जब जॉय की कक्षा में प्रेरणा ने होम वर्क दिया, जिसमें अपने प्रिय पक्षी का चित्र बनाकर उसके बारे में पाँच वाक्य बनाकर लिखने थे। जॉय को पेंटिंग करना तो अच्छा लगता है, उसे रंग-बिरंगी चिड़ियों को देखना और उनके कलरव को सुनकर उनके पीछे भागना, उनकी आवाज़ें निकालना और भी ज़्यादा अच्छा लगता है, पर उसे लिखना बिलकुल पसंद नहीं है। उसने बहुत प्यारा चित्र बनाया, उसे कई रंगों से सजाया, लेकिन जब लिखने की बारी आई तो उसके हाथ-पैर फूल गए । वैसे तो उसकी बहन से रोज लड़ाई होती है । कभी- कपड़ों को लेकर, तो कभी खिलौनों के कारण । कभी-कभी तो बिस्तर की साइड को लेकर ही लड़ पड़ते हैं । वह वैसे तो अपनी बहन को नाम से पुकारता है पर जब कुछ काम कराने की बारी आती है तो उसके मुँह से दीदी-दीदी की पुकार निकलने लगती है । आज तो उसे अपनी कॉपी में पाँच वाक्य लिखवाने थे । वह दीदी-दीदी की पुकार लगाते हुए उसके पास गया और उसे चॉकलेट का लालच देकर उससे पाँच वाक्य लिखवा लिए। दूसरे दिन सुबह उठते ही ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा, माँ के पूछने पर उसने बताया कि कल रात को मैं बिस्तर से नीचे गिर गया था इसलिए मेरे हाथ में चोट लग गई है।
माँ ने उसे घर पर ही रहकर आराम करने के लिए कहा पर स्कूल में उस दिन स्विमिंग की क्लास थी। उसे स्विमिंग करना भी बहुत अच्छा लगता है इसलिए वह स्कूल जाना चाहता था। उसने बड़ी मासूमियत से कहा, नहीं मम्मी मुझे ज्यादा चोट नहीं लगी बस कलाई मुड़ गई है। तब तक पापा भी जाग गए थे।वो सारा माजरा समझ गए। उन्होने कहा कि हाथ में पट्टी बाँध दो, मैं उसे स्कूल ले जाता हूँ। स्कूल में जब प्रेरणा ने उसके हाथ में बँधी पट्टी देखी, तो वह घबरा गई, पिता ने दूर से ही इशारे में प्रेरणा को सारी बात बता दी ।
अगले दिन कक्षा में पहला पीरियड ही स्विमिंग का था। उस दिन तो बस जॉय का चेहरा देखने लायक था। कक्षा के सभी बच्चे अपने-अपने स्वीमिंग कॉस्ट्यूम्स निकालने लगे। जॉय एक कोने में चुपचाप बैठा देख रहा था। चेहरे पर बहुत परेशानी के भाव आ-जा रहे थे। प्रेरणा कनखियों से उसे लगातार देखे जा रही थी । बच्चों ने कक्षा से बाहर जाने के लिए लाइन बनानी शुरू की। जॉय की आँखें छलक रहीं थीं। बच्चे एक-एक करके बाहर जाने लगे । अब तो बस जॉय की आँखों से गंगा-जमुना बह निकली। प्रेरणा ने उसकी ओर मुड़कर देखा, वह सुबकियाँ ले रहा था। प्रेरणा उसके पास गई। उसके पूछने पर उसने सुबकते हुए सब बातें कह दीं। प्रेरणा ने धीरे-से उसके हाथ पर बँधी हुई पट्टी खोली। जॉय की आँखें अब भी बरस रहीं थीं। उसने प्रेरणा को वचन दिया कि अब वह अपने सभी काम स्वयं करेगा। प्रेरणा ने उसे प्यार-से समझाया कि अपने काम में सदा ईमान दारी बरतना चाहिए। तब प्रेरणा ने उसे स्कूल की ही एक बड़ी कक्षा का उदाहरण दिया, जिसमें एक छात्र चलती कक्षा में कागज़ का हवाईजहाज बनाकर उड़ा रहा था। सामाजिक विज्ञान का कक्षा चल रही थी।
हवाईजहाज जाकर टीचर की मेज़ से जा टकराया। कक्षा का ध्यान भंग हो चुका था । कोई भी छात्र कुछ भी बताने के लिए तैयार नहीं था,परंतु इत्तेफाक से उसी समय कक्षा के सामने से गुजर रही अन्य शिक्षिका की नज़रों से यह वाकया छिपा नहीं था। जिस छात्र ने यह किया था,वह घबराया हुआ तो था,पर अपनी गलती स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। तभी अचानक उसके साथ वाली कुर्सी पर बैठा हुआ एक छात्र अपनी कॉपी निकालने के लिए हिला, तो उस छात्र ने बहाना बनाया कि उसके साथ बैठे हुये छात्र ने उसे कोहनी मारकर उसे तकलीफ़ पहुँचाई है।उसने अपने हाथ को पकड़कर रोना शुरू कर दिया । अगले दिन उसे स्वयं अपनी भूल का अहसास हुआ और उसे भरी कक्षा में सबके सामने अपनी भूल को स्वीकारा । इस घटना को सुनकर जॉय के मन में उठी ग्लानि की भावना थोड़ी कम हुई और उसके चेहरे पर मुस्कान खिल उठी ।प्रेरणा उसे स्विमिंग पूल की ओर ले गई और उसके द्वारा स्वयं की भूल को स्वीकार करने की इस भावना को प्रोत्साहित करने के लिए सभी बच्चों ने ज़ोर-ज़ोर से खुश होकर तालियाँ बजाईं।
जॉय अब सच्चाई और ईमानदारी के महत्व को समझ चुका था। उसने स्विमिंग पूल से वापसकर सबसे पहले अपने द्वारा बनाए चित्र को ध्यान से देखा और छोटे-छोटे वाक्य बनाकर लिखने लगा ।
- Caring Icons: Kaushal Singh, Kalpana Jain, Himani Singh
Shireen Ahmed and Ritika Anand. The Iconic School, Bhopal.
Contact Kalpana Jain Email jainkalpna17@gmail.com
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Good story
ReplyDeleteGood story
ReplyDeleteVery motivative story....well phrased
ReplyDeleteअत्यन्त प्रेरक एवम् रोचक रचना।
ReplyDeleteVery well written! Looking forward for more inspiring stories in your blog :)
ReplyDeleteit's a good effort, keep it up mam
ReplyDeleteGreat thought and story !
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