हम अक्सर छोटी - छोटी बातो की ओर ध्यान नही देते और वही बात आगे चलकर विशाल बन जाती है । किसी भी बात को हल्के मे लेना या टाल देने से वह खत्म नही होती बल्कि और अधिक बढ़ जाती है । इसलिए किसी भी बात को इगनोर नही करना चाहिए अपितु छोटी से छोटी बात पर भी ध्यान देना आवश्यक है । अध्यापक को बालको की हर छोटी बडी बात पर ध्यान देना आवश्यक है । बालको की अच्छी- बुरी आदतो को ध्यान मे रखकर उनमे सुधार लाने की कोशिश करनी चाहिए । अध्यापको को बालको को प्रोत्साहित करके उन्हे अवसर प्रदान करने चाहिए । अध्यापको को बालको की आदते , वाचन , लिखावत आदि पर भी ध्यान देकर उसमे सुधार लाने का प्रयत्न करना चाहिए । अध्यापक बालको की भावनाओ पर ध्यान दे और उसकी वजह जाने की क्यो वह बालक ध्यान नही दे पा रहा है । शिक्षक उनकी भावनाओ को समझे व उसका हल खोजने का प्रयास करे । शिक्षको को भी यह ध्यान मे रखना चाहिए की उनकी छोटी से छोटी गलत आदत बालक देखता है और वही सीखता भी है । उद्धारण के लिए अगर कक्षा मे अध्यापक देरी से आता है तो वही आदत बालक भी सीखते है । बालको को अगर शुरू मे ही सही आदते सीखाई जाए व उनकी गलत आदतो पर ध्यान देकर उन्हे सुधारा जाए तो आगे जाके उन्हे दिक्कत नही आएगी । शिक्षक छोटी - छोटी जानकारी बालको को दे व आगे बढ़ने के लिए उन्हे प्रोत्साहित करे । बालको को उनकी छोटी से छोटी गलती का आभास करवाकर उनमे सुधार लाए ।
हमारी सीख "आइसक्रीम मेकर" से सुबीर चौधरी
शर्मिला विजयरागी, भारती राव, ऊषा पँवार & कृर्तिका राव - The Fabindia School
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