शिक्षण विधि को रोचकपूर्ण बनाना
शिक्षण विधि को बेहतर बनाने के लिए शिक्षक को सबसे पहले यह समझना जरुरी है कि छात्र क्या सोचते है तथा कैसे सोचते है उनकी मदद कैसे कि जा सकती है। इन सब को ध्यान में रखकर शिक्षण करवाया जाए।
शिक्षक और छात्रों का रिश्ता मित्रतापूर्वक होना चाहिए जिससे छात्र बिना किसी संकोच के अपनी समस्याएँ बता सके तथा शिक्षक उनकी सहायता कर सके।
समूह शिक्षा या टोली शिक्षण, शिक्षण की एक सुव्यवस्थित प्रणाली है जिसमें कई शिक्षक मिलकर विद्यार्थियों के एक समूह को अनुदेशन प्रदान करते हैं और एक साथ मिलकर किसी विशिष्ट प्रकरण के लिए शिक्षक का उत्तरदायित्व लेते हैं | इसमें दो या दो से अधिक शिक्षक भाग लेते हैं | इसमें शिक्षण विधियों की योजना, समय तथा प्रक्रिया लचीली रखी जाती है ताकि शिक्षण उद्देश्य के अनुसार तथा शिक्षकों की योग्यता के अनुसार समूह शिक्षण के कार्यक्रम में आवश्यक शिक्षित परिवर्तन लाए जा सके |
पुनर शिक्षण का अर्थ है दोबारा पढ़ाना | पुनर शिक्षण में से अध्यापक सभी बच्चों को ध्यान में रखकर दोबारा से पाठ्यक्रम पढ़ाता है | इसमें इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता है कि किस बच्चे को वह पाठ याद है किसको नहीं | पूरा का पूरा पाठ सभी बच्चों को पढ़ाया जाता है चाहे भले ही किसी को वह पाठ याद हो |
आगमन विधि में हम पहले बच्चों को उदाहरण देते हैं | बच्चों को प्रत्यक्ष अनुभव तथा उदाहरण अच्छी तरह से समझ जाते हैं | अतः जब अध्यापक उदाहरण देता है तो बच्चे उसे जीवन से संबंधित कर के अच्छे से सीख लेते हैं | यह विधि विशिष्ट से सामान्य की ओर चलती है | प्राथमिक स्तर पर ही है सबसे अच्छी विधि है|
हमारी सीख - आइसक्रीम मेकर by सुबीर चौधरी
- अजय विजयवर्गी , कुसुम डांगी , तरुण मिश्रा , उस्मान गनी
The Fabindia School
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