Tuesday, September 12, 2017

Forgiveness is Divine


क्षमा करना दैवीय है

क्षमा करना दैवीय है - अर्थात किसी को क्षमा करने वाला देवताओं के समान माना जाता है क्योंकि किसी को भी उसकी गलती पर क्षमा करना हर किसी के बस की बात नहीं है | विद्यालय जीवन में कक्षा नर्सरी से लेकर पांचवीं तक सभी छात्र आपस में लड़ाई कर लेते पर वो एक दूसरे को अगले ही दिन माफ कर देते हैं अर्थात पहले दिन हुई लड़ाई को भूल कर वो फिर से एक दूसरे के साथ खेलने लग जाते है जिससे पता चलता है कि वो एक दूसरे को बहुत जल्दी माफ़ कर देते हैं | मैंने अपने सात साल के सफर में आज तक फैब इंडिया में एक भी छात्र / छात्रा को नहीं देखा जिसकी एक दूसरे से लड़ाई हो | यंहा पर सभी मिलजुलकर रहते हैं | शिक्षक हर समय अपने छात्रों के द्वारा की गई गलतियों को माफ कर देता है | साथ ही साथ शिक्षकों द्वारा की गई गलतियों को छात्र भी माफ कर देते हैं | जिस तरह से नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी जी अपने विरोधिओं को माफ़ कर देते हैं - वह एक सराहनीय कदम है, जिससे आगे चलकर वो महान आदमी बनने के साथ-साथ समाज में अति लोकप्रिय नेता भी बने | क्षमा करने के और भी उदाहरण हैं I ठीक इसी तरह की एक घटना मेरे साथ भी हुई |

बात पिछले साल की है जब कक्षा IX के तीन - चार छात्र प्रारंभिक आकलन (FA) की परीक्षा में अपना सामान न लाकर दूसरो से सामान ले रहे थे जिससे कक्षा में शोरगुल होना शुरू हो गया | इसी बीच शिक्षक ने एक छात्र को कक्षा से बाहर जाने को कहा लेकिन वह छात्र बाहर जाने को तैयार ही नहीं था | बहुत बोलने के बाद भी जब वह छात्र बाहर नहीं गया तो शिक्षक ने उसे खींचकर कक्षा से बाहर निकाल दिया | छात्र क्रोध में था और कक्षा के बाहर खड़ा होकर शिक्षक के बारे में भला–बुरा कहने लगा | यह सुनकर मैं उसके पास गया (क्योंकि मैं उस समय वंही से जा रहा था) और मैंने उसे समझाने की कोशिश की पर वह क्रोध में होने के कारण कुछ भी समझने के लिए तैयार ही नहीं था | अतः मैंने उसे थोड़ी देर के लिए शांत रहने को कहा | फिर मैंने उसे समझाने की कोशिश की और कहा, "माना आपकी कोई गलती नहीं है फिर भी आपको अपने शिक्षक से माफी मांग लेनी चाहिए क्योंकि इस छोटी सी ज़िन्दगी में हमसे जाने-अनजाने गलतियाँ होती रहती हैं। जब हम खुद गलती करते हैं तो लगता है कि काश सामने वाला माफ़ कर दे, पर जब किसी और से गलती होती है तो हम रूठ कर बैठे जाते हैं और बिना सोचे-समझे उसे भला–बुरा कहने लगते हैं"। थोड़ी देर तक मेरी बातें सुनने के बाद वह बोला, "सर मैं आपके कहने पर यह सब कर रहा हूँ" | उसने शिक्षक से माफी मांगी पर शिक्षक ने उसे माफ नहीं किया और फिर मैंने शिक्षक से बात की और कहा कि अब वह कक्षा में चुपचाप रहेगा | मेरे कहने पर शिक्षक ने उसे माफ करने के साथ-साथ कक्षा में बैठने की इजाजत भी दे दी | 

अतः अंत मे, मैं यही कहना चाहता हूँ कि जिस तरह से हमारे माता-पिता हमारी भूलों के लिए हमें क्षमा कर देते हैं, ईश्वर हमें हमारे अपराधों के लिए क्षमा कर देता है, ठीक उसी प्रकार से हमें भी दूसरों को क्षमा कर देना चाहिए |

~ Suresh Singh Negi is an Educator at The Fabindia School. His email address is sni4fab@gmail.com

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